आइये जानते है इस सेलिब्रिटी हेयर स्टाइलिस्ट से, जिसका नाम हॉलीवुड और बॉलीवुड सितारों जैसे दीपिका पादुकोण, अनुष्का शर्मा, करीना कपूर, प्रियंका चोपड़ा, जेसिका अल्बा, रॉबर्ट डाउनी जूनियर और बहुत से सितारों के बीच चमकता है। यह उत्साही स्टाइलिस्ट एक शांतिपूर्ण ध्यान अभ्यास को अपनी प्रेरणा और असीमित ऊर्जा का श्रेय देता है, जिसका वह रोजाना अभ्यास करता है।
गैब्रियल जॉर्जीऊ ने चमक-दमक और ग्लैमर की दुनिया में अपने लिए एक नाम बनाया है। वोग इंडिया द्वारा “बेस्ट हेयरस्टाइलिस्ट” के रूप में सम्मानित किए जाने से, सितारों को भव्य रेड कारपेट लुक्स के लिए तैयार करने, और दीपिका पादुकोण के शानदार हेयरस्टाइल्स का प्रदर्शन, इस जोशीले कलाकार ने यह सब किया है। उनके द्वारा अनुष्का शर्मा की शादी के लिए बनाए हेयरस्टाइल खासे चर्चा में रहे।
जॉर्जियो ने अपना अधिकांश बचपन ऑस्ट्रेलिया और ग्रीस में बिताया। उन्होंने लंदन में टोनी एंड गाइ एकेडमी ऑफ हेयर से शिक्षा ली। इसके बाद मेलबोर्न के फ्लैगस्टाफ कॉलेज में पीरियड मेकअप, कॉस्टयूम, विग और बालों का भी अध्ययन किया। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से लेकर एथेंस, लंदन से लेकर एल.ए. और इसके बाद 2008 में मायानगरी मुंबई में कदम रखा।
भारत का हेयर स्टाइलिंग परिवेश जॉर्जियो को निश्चित ही बहुत अनोखा लगा। “मुझे लगा जैसे समय में पीछे जा कर मैं सौंदर्यशास्त्र और हेयरस्टाइल्स के 80 के दशक में चला गया हूँ,” वे कहते हैं, ” उदाहरण के लिए बालों का टेक्सचर वाला स्टाइल कभी पत्रिकाओं में या सेलिब्रिटीज में नहीं देखा गया था। युवा अभिनेत्रियां कुछ नया प्रयोग करना चाहती थीं और हॉलीवुड सितारों की तरह दिखना चाहती थीं। ”
बॉलीवुड की हर तारिका जिसके साथ उन्होंने काम किया, अपना दीवाना बना लिया। टेक्सचर और स्ट्रक्चर का संयोजन करने वाले उनके प्रतिष्ठित स्टाइल ने उन्हें सबसे अधिक मांग वाले हेयर स्टाइलिस्ट में से एक बना दिया है।
किसी के लिए इतना कल्पनाशील और उत्साही होने, और साथ ही इतना सकारात्मक और शांत होने के लिए, निश्चित ही कोई “गुप्त” शक्ति होनी चाहिए जो मदद कर रही हो। यह पूछे जाने पर कि वह क्या है जो उन्हें इतनी सफलता के बाद भी स्थिर रखता है, उन्होंने कहा कि इसका श्रेय वे फालुन दाफा ध्यान अभ्यास को देते हैं जिसका वे रोज अभ्यास करते हैं।
जॉर्जीउ ने 2002 में ऑस्ट्रेलिया में फालुन दाफा के अभ्यास को सीखा। “मैं इस बात से आकर्षित हुआ कि यह मन और शरीर दोनों का अभ्यास है, और यह सत्य, करुणा और सहनशीलता के व्यापक सिद्धांतों पर आधारित है, और यह नि:शुल्क है।”
“मैं हमेशा से मानता था कि अच्छाई और ज्ञान ह्रदय से दिया जाता है, आप उसे खरीद नहीं सकते। मैं इस कहावत में भी विश्वास करता हूं कि जब शिष्य तैयार होगा तो शिक्षक स्वयं प्रकट होगा। हमारे पास सब कुछ किसी कारण से आता है और मुझे लगा कि मुझे इसे आजमाना चाहिए।”
वे कहते हैं, “व्यक्तिगत रूप से मुझमें निरंतर सुधार हुआ है। मैं न केवल बेहद स्वस्थ हो गया हूं, बल्कि बहुत फुर्तीला और सकारात्मक महसूस करता हूं। मैं मुश्किल परिस्थितियों को भी संयम से संभाल पाता हूं। ”
फालुन दाफा की शुरुआत 1992 में चीन में हुई और इसकी शिक्षाओं और स्वास्थ्य लाभों के कारण यह बहुत लोकप्रिय हो गया। अकेले चीन में 7 से 10 करोड़ लोग इस प्रणाली का अभ्यास कर रहे थे। चीनी कम्युनिस्ट शासन के पूर्व नेता, जियांग जेमिन ने इसकी बढ़ती लोकप्रियता से चिंतित होकर, 20 जुलाई, 1999 को इस शांतिपूर्ण अभ्यास पर अवैध रूप से प्रतिबंध लगा दिया और इसके अभ्यासियों पर क्रूर दमन शुरू कर दिया, जो आज तक जारी है। दूसरी ओर, फालुन दाफा का अभ्यास भारत सहित दुनिया भर के 114 से अधिक देशों में किया जा रहा है।
जब जॉर्जीऊ ने पहली बार चीन में चल रहे दमन के बारे में सुना तो वे हैरान रह गए। वे कहते हैं, “मैं यह नहीं समझ सकता कि कैसे कोई सरकार इतने अच्छे अभ्यास का दमन कर सकती है जो पारंपरिक संस्कृति से जुड़ा है और समाज के लिए इतना लाभकारी है।”
अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद, गैब्रियल फालुन दाफा अभ्यास के लिए इच्छुक लोगों को सिखाने के लिए समय निकालते हैं। इसके साथ ही वे लोगों को चीन में फालुन दाफा अभ्यासियों पर हो रहे क्रूर दमन के बारे में बताना नहीं भूलते। इसमें कोई संदेह नहीं कि गैब्रियल हमारे लिए एक रोल मॉडल हैं जो आज के भौतिकवादी जगत में एक सफल कैरियर और आध्यात्मिक जीवनशैली दोनों का संतुलन कर पा रहे हैं।
यदि आप फालुन दाफा अभ्यास सीखने के इच्छुक हैं, तो आप www.falaundafa.org या www.falundafainfia.org पर विवरण देख सकते हैं।