सावन का दूसरा सोमवार 17 जुलाई को है, यह बहुत खास हैं, क्योंकि इस दिन कई दुर्लभ योग बन रहे हैं। अमावस्या होने की वजह से इस दिन सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है और सोमवती अमावस्या के दिन शिव पूजा से पितृदोष, शनिदोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इसी दिन सूर्य कर्क संक्रांति भी है। इस दिन सूर्य देव का कर्क राशि में प्रवेश होगा। सूर्य का गोचर कर्क राशि में होने से कर्क राशि में बुधादित्य नामक राजयोग बनने जा रहा है। इस राजयोग के प्रभाव से सूर्य देव की कृपा बरसेगी।
सावन के दूसरे सोमवार के बाद 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा। पंचांग के अनुसार 3 साल में एक बार मलमास या अधिक मास पड़ता है। मलमास में शुभ कार्य वर्जित रहते है। मलमास में भगवान विष्णु की आराधना फलदायी होती है। इस समय भगवान शिव की पूजा की जा सकती है, लेकिन इस समय सोमवार व्रत करना मान्य नहीं है। मलमास के पश्चात् 17 अगस्त से 31 अगस्त तक सावन रहेगा। इसमें पड़ने वाले 21 अगस्त व 28 अगस्त के सोमवार व्रत मान्य रहेंगे।
अधिकमास क्यों और कब आता है
वास्तव में अधिकमास एक अतिरिक्त मास है जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है। इसका प्राकट्य सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है। भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग 1 मास के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को बराबर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है, जिसे अतिरिक्त होने के कारण अधिकमास या मलमास का नाम दिया गया है।