Home News Update  चंद्रयान-3 तैयार, ISRO दोपहर 2:35 मिनट पर श्रीहरिकोटा से लॉन्च करेगा

 चंद्रयान-3 तैयार, ISRO दोपहर 2:35 मिनट पर श्रीहरिकोटा से लॉन्च करेगा

Chandrayaan-3 ready, ISRO to launch from Sriharikota at 2:35 pm

चांद पर भारत का तिरंगा लहराने के लिए आज इसरो का तीसरा मून मिशन लॉन्च होने जा रहा है। चंद्रयान-3 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च करेगा।

पूरी दुनिया की निगाहें भारत के इस मून मिशन पर टिकी हुई हैं। चंद्रयान-3 को LVM3-M4 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। LVM-3 एक भारी-भरकम प्रक्षेपण यान है, जो अंतरिक्ष में एक बड़ा पेलोड ले जा सकता है।

यह इसरो द्वारा विकसित अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है।इसरो द्वारा लॉन्च किए जा रहा चंद्रयान-3 पहले के मिशन से थोड़ा अलग है।

चंद्रयान-1 में इसरो ने केवल ऑर्बिटर रखा था। चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर के साथ लैंडर और रोवर भी थे। अब चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं है, लेकिन लैंडर और रोवर रहेंगे। इसरो ने पहले की तरह लैंडर का नाम विक्रम और रोवर का प्रज्ञान रखा है।

चंद्रयान-3 मिशन को साल 2021 में लॉन्च किया जाना था, लेकिन कोरोना के चलते इसमें देरी हुई। बता दें कि चंद्रयान-2 में लैंडर क्रैश हो गया था और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा को इसका मलबा मिला था।चंद्रयान-3 को इसरो का फॉलोअप मिशन कहा जा रहा है।

इस मिशन का उद्देश्य 23-24 अगस्त के आसपास चंद्रमा की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। चंद्रयान चांद सबसे पहले चांद के चक्कर काटेगा और 100 किमी की दूरी पर लैंडर इससे अलग हो जाएगा।इसी लैंडर के अंदर छह पहियों वाला रोबोट है जो बाहर आ जाएगा, जिसे रोवर कहते हैं।चंद्रयान-3 के जरिए इसरो चांद पर पानी और खनिज की मौजूदगी का पता लगाना चाहता है।

अगर, दक्षिणी ध्रुव पर पानी और खनिज मिलता है, तो यह विज्ञान के लिए बड़ी कामयाबी होगी। नासा के अनुसार, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ है और यहां कई और प्राकृतिक संसाधन भी मिल सकते हैं।

अमेरिका, रूस और चीन चांद पर लैंडर उतार चुके हैं, लेकिन दक्षिणी ध्रुव ऐसा करने वाला भारत पहला देश बन सकता है। चंद्रयान-3 मिशन का बजट करीब 615 करोड़ रुपये है। यह चंद्रयान-2 के लिए आवंटित राशि से भी काफी कम है, क्योंकि पिछले मिशन के लिए 960 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था।

बता दें कि इसकी तुलना अगर चीन और अमेरिका के मून मिशन से की जाए तो ये काफी सस्ता है। चीन ने मून मिशन चांग-ई 4 को 69.38 लाख करोड़ रुपये में पूरा किया था तो वहीं, अमेरिका ने अपने मून मिशन पर अब तक 825 लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं।

Exit mobile version