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पहली बार 24 देशों के मंत्री इंदौर में, रोजगार पर दुनिया के लिए बनेगी नीति

 

इंदौर। इंदौर से दुनियाभर के लिए श्रम, रोजगार पर भविष्य की नीतियों का रास्ता निकलेगा। इंदौर में जी-20 देशों की बैठकों का दौर बुधवार से शुरू हो रहा है। 21 जुलाई की तारीख खास होगी। इस दिन 24 देशों के श्रम और रोजगार से जुड़े मंत्री इंदौर में खास बैठक करेंगे। पहली बार इंदौर में इतने देशों के मंत्री किसी सरकारी बैठक के लिए एकसाथ जुट रहे हैं। यह बैठक अहम इसलिए भी है, क्योंकि इससे पहले देश-विदेश में हुई तीन बैठकों का सार और निष्कर्ष इंदौर की इसी बैठक में तय होगा|
बैठक में शामिल होने आए प्रतिनिधियों का तिलक लगाकर और फूलमालाएं पहनाकर स्वागत किया गया।

स्कीम-78 स्थित ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में 19 से 21 जुलाई तक जी-20 समूह के सदस्य देश-विशेष आमंत्रित नौ देशों के प्रतिनिधि श्रम और रोजगार के मुद्दे पर चर्चा के लिए इंदौर आ रहे हैं। इस मुद्दे पर बने इन देशों के वर्किंग ग्रुप की तीन बैठकें क्रमश: फरवरी में जोधपुर, अप्रैल में गुवाहाटी और मई में स्विट्जरलैंड के जिनेवा स्थित अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) के मुख्यालय में हुई थी। इन तीन बैठकों में ग्लोबल स्किल गैप यानी कौशल में मौजूद अंतर, अस्थायी रोजगार आधारित अर्थव्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा की समस्या से पार पाते हुए समावेशी आर्थिक तंत्र और सामाजिक सुरक्षा का ढांचा खड़ा करने की रणनीति पर विचार हुआ।


अंतिम खाका इंदौर में होगा पेश
तीनों बैठकों में श्रम-रोजगार पर बने जी-20 देशों के वर्किंग ग्रुप के सदस्यों ने हिस्सेदारी की। इसमें अधिकारी और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि होते हैं। तीन बैठकों में तय हुए बिंदुओं और प्रारूप का अंतिम खाका अब इंदौर में पेश होगा। 19 और 20 जुलाई को वर्किंग ग्रुप इस पर अंतिम चर्चा करेगा। 21 जुलाई को इस पर जी-20 का अंतिम दस्तावेज मंत्रियों की बैठक में तय होगा। साथ ही जी-20 देशों की ओर से श्रम और रोजगार पर संयुक्त वक्तव्य जारी किया जाएगा। भारत के श्रम व रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव बैठक की अध्यक्षता करेंगे।

श्रम व रोजगार मंत्रालय की सचिव आरती आहूजा और संयुक्त सचिव रूपेश कुमार ठाकुर ने आयोजनों का ब्योरा दिया। उन्होंने कहा कि जी-20 के सदस्य देश बेहतर आर्थिक और समावेशी विकास के लिए इस साल भारत की अध्यक्षता में चर्चा कर रहे हैं। इससे पहले फरवरी में कृषि समूह की बैठक भी इंदौर में हो चुकी है। सदस्य देशों के वर्किंग समूह अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा कर नीतियों व साझा बिंदुओं पर बात करते हैं। इसमें श्रम व रोजगार भी एक है। भविष्य के लिए बेहतर रोजगार सृजित करने के लिए किस दिशा में कौशल विकास पर काम हो। कैसे एक-दूसरे देश सहयोग कर रोजगार को बढ़ावा दें। श्रम की स्थिति बेहतर कर अर्थव्यवस्था का विकास करें। इंदौर की अंतिम बैठक में मंत्री समूह बिंदुओं को तय कर साझा नीतियों का प्रारूप जारी करेंगे।

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