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पुरुषोत्तम मास के अधिपति हैं श्री हरि इसलिए यह मास उन्हीं के नाम पर

Shri Hari is the ruler of Purushottam month, so this month is named after him.

पुरुषोत्तम मास के अधिपति हैं श्री हरि इसलिए यह मास उन्हीं के नाम पर

मंगलवार से अधिक मास मलमास या पुरुषोत्तम मास प्रारंभ हो गया है। पुरुषोत्तम मास का बुधवार को दूसरा दिन है। यह मास 16 अगस्त को समाप्त होगा। अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है क्योंकि इसके स्वामी स्वयं श्री हरि विष्णु है। पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है। इस मास में श्री हरि की पूजा होती है और श्रीमद् भागवत कथा व शिवपुराण सुनने के साथ मथुरा वृंदावन का विशेष महत्व है। अधिक मास में शादी-ब्याह ग्रह प्रवेश यज्ञोपवीत संस्कार इत्यादि करना निषेध है।

क्या होता है पुरुषोत्तम मास
ज्योतिषाचार्य पं. रवि शर्मा ने बताया कि एक चंद्र वर्ष 354 दिन व एक सौर वर्ष 365 दिन का होता है (जिसे सामान्य भाषा मे एक वर्ष कहते है)। इस प्रकार चंद्र वर्ष और सौर वर्ष में लगभग 11 दिन का अंतर होता है। इस अंतर को पूरा करने के लिए प्रत्येक तीसरे वर्ष (11 गुणा 3=33) अधिक मास या पुरुषोत्तम मास होता है। जब इस अधिक मास का अधिपति कोई देवता बनने को तैयार नहीं हुआ तब भगवान शिव ने श्री हरि विष्णु से आग्रह किया कि वे इस अधिक मास के अधिपति बन जाए, भगवान विष्णु ने इस आग्रह को स्वीकार कर लिया और इस मास को अपने सर्वाधिक प्रिय ब्रज क्षेत्र में बसाया। इसमें भगवान विष्णु की आराधना व भागवत कथा श्रवण करना बेहद फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस मास में किए गए धार्मिक कार्य पूजा-पाठ का फल अधिक मिलता है। पुराणों के अनुसार पुरुषोत्तम मास के समय सभी तीर्थ क्षेत्र ब्रजमंडल में निवास करते हैं, साथ ही ब्रज मंडल में योगेश्वर कृष्ण की लीला स्थली मथुरा वृंदावन गोकुल बरसाना इत्यादि की तीर्थ यात्रा करने का विशेष महत्व है। ओम नमो भगवते वासुदेवाय द्वादश अक्षर मंत्र का जाप करना चाहिए। अधिक मास में इस मंत्र का जप करने से साधक पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा रहती है और पापों का शमन होता है। इस बार श्रावण मास में पुरुषोत्तम मास जुड़ गया, जिससे इस शिव भगवान विष्णु की पूजा करने से दोनों का आशीर्वाद मिलेगा।

इस माह श्री विष्णु नाम का जाप व श्रीमद् भागवत कथा कराना, श्रवण करना विशेष फलदायी
हिरण्यकश्यप का वध भी इसी मास में हुआ था भगवताचार्य पं. घनश्याम शास्त्री ने बताया कि सनातन धर्म में पुरुषोत्तम मास का विशेष महत्व है। श्री हरि का एक नाम पुरुषोत्तम मास भी है। इसलिए इनके नाम से जाना जाता है, क्योंकि अधिक मास के आधिपति भगवान विष्णु है। भक्त प्रहलाद पर अत्याचार करने वाले उनके पिता हिरण्यकश्यप ने ब्राह्म जी का तप कर प्रसन्न कर वरदान मांगा था कि 12 माह में किसी भी दिन न नर के हाथों व नारायण व किसी देवता के मेरा हाथों में वध हो। हिरण्यकश्यप का कल्याण के लिए इस अतिरिक्त मास का निर्माण हुआ था। दो साल बाद यह तीसरे वर्ष में पड़ता है। हिरण्यकश्यप का मुक्ति देने के बाद भक्त प्रहलाद को वरदान दिया था कि इस मास में जो भी श्रीमद भागवत कथा का आयोजन और पूजा-अर्चना के साथ जप करेगा, उस पर मेरी सदैव कृपा रहेगी।

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