गठिया एक जीर्ण रोग है जिसे क्रानिक डिसीज भी कहते हैं। गठिया के रोगी को बहुत अधिक शारीरिक दर्द का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण व्यक्ति अधीर, उत्तेजित व नकारात्मक विचारों से ग्रसित हो जाता है व स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लगता है।
प्राकृतिक चिकित्सक एवं आहार विशेषज्ञ वृंदा खांडवे के अनुसार, गठिया का रोग जब शरीर में बढ़ने लगता है तो सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द होने के साथ ही कब्ज की शिकायत रहने लगती है। गठिया में जोड़ों में दर्द होता है लेकिन यह दर्द अधिकतर पैर के अंगूठे से आरंभ होता है और फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर के जोड़ों में फैलता जाता है। जोड़ों में जहां-जहां दर्द होता है वहां हल्की सी गर्माहट होती है और उस जगह पर हल्का लालपन दिखाई देने लगता है।
इससे बचाव के लिए पानी भरपूर मात्रा में पीना चाहिए, हमें ध्यान रखना चाहिए कि शरीर में पानी की कमी न हो। वहीं ठंडी जगहों पर जाने के साथ ही ठंडी चीजों के सेवन से भी बचना चाहिए। खानपान में विशेषकर अत्याधिक नमकीन, तला, बासी, मिर्च-मसालेदार भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए। ताजे फल, हरी सब्जियां, सलाद, छिलके वाली मूंग की दाल, मोटा अनाज, लाल रंग के फल, अपने आहार में नियमित शामिल करें।
इसके साथ ही व्यायाम नियमित करें, लेकिन ध्यान रखें कि व्यायाम करते समय जोड़ों या शरीर में किसी भी संधि स्थान पर अत्यधिक दबाव ना आए। अपने शरीर का पोश्चर हमेशा सही रखें, कुर्सी, टेबल पर काम करते समय या किसी भी तरह उठते-बैठते, चलते-फिरते, सोते समय अपना पोश्चर सही रखें।