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मध्य प्रदेश फिर बना टाइगर स्टेट, देश में सबसे ज्यादा 785 बाघ हैं यहां

 

देश में सबसे ज्यादा बाघों के साथ टाइगर स्टेट कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में अपना यह दर्जा कायम रखते हुए बहुत आगे निकल गया है। आज जारी आंकड़ों के अनुसार देश में सबसे ज्यादा 785 बाघ मध्य प्रदेश में हैं। इसके बाद 563 बाघों के साथ कर्नाटक दूसरे और 560 बाघों के साथ उत्तराखंड तीसरे नंबर पर है।

टाइगर डे पर शनिवार को देशव्यापी बाघ गणना के आंकड़े जारी हो गए, जिसमें 165 बाघों के साथ बांधवगढ़ मध्य प्रदेश में अव्वल है। हाल में जारी रिपोर्ट में अभी प्रदेश में बाघो की संख्या का जिक्र है। बांधवगढ़ ग्रोथ रेट के मामले में अव्वल रहा है। वर्ष 2018 की गणना में भी बांधवगढ़ बाघों की ग्रोथ रेट में मध्य प्रदेश में अव्व

Madhya Pradesh again became Tiger State, it has maximum 785 tigers in the country

ल रहा था।

‘टाइगर स्टेट’ होने पर गर्व : शिवराज ‘टाइगर स्टेट’ होने पर गर्व- CM शिवराज सिंह

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने आज विश्व बाघ दिवस

की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रदेश के ‘टाइगर स्टेट’ होने पर हमें गर्व है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने ट्वीट में कहा कि मध्यप्रदेश के ‘टाइगर स्टेट’ होने पर हमें गर्व है। बाघों के संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ ही उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिये हम और श्रेष्ठतम कार्य करें, ताकि टाइगर स्टेट का गौरव आगे भी हमारे पास रहे।

ग्रोथ रेट में अव्वल रहने की चार वजह

बांधवगढ़ की सभी 139 बीट में बाघों की मौजूदगी के निशान पाए गए हैं।
बांधवगढ़ में पिछले 1 साल में 21 सौ से ज्यादा कैटल किल की घटनाएं हुई हैं।
बांधवगढ़ में बाघों के द्वारा मनुष्य पर हमले की घटनाएं भी लगातार बढ़ी है।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हर वर्ष 40 से 50 नए शावक देखे गए हैं।

बांधवगढ़ और आसपास का जंगल

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अंदर ही एक सौ पचास से ज्यादा बाघ होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। बांधवगढ़ की सभी बीट में बाघ होने के संकेत मिले थे। एक ही क्षेत्र में सात से आठ बाघ घूमते हुए देखे जा रहे हैं। जबकि बांधवगढ़ से लगे हुए जंगलों में बीस से ज्यादा बाघ होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। यह बाघ भी बांधवगढ़ के जंगल में आते-जाते रहते हैं। इस तरह अकेले बांधवगढ़ और इससे लगे जंगल में ही पिछले चार साल में लगभग पचास बाघों के बढ़ने की संभावना बनी हुई है।

सर्किल में बढ़े बाघ

सिर्फ बांधवगढ़ ही नहीं पूरा सर्किल में बाघों की भरमार है। शहडोल सर्किल में घुनघुटी, ब्यौहारी, जयसिंहनगर, अनूपपुर का जंगल शामिल है। इस पूरे क्षेत्र में बाघ दिखाई देते हैं। इस तरह कहा जा सकता है कि बाघों का संसार टाइगर रिजर्व की सीमाओं के बाहर भी बढ़ रहा है। टाइगर रिजर्व में तो बाघों के संरक्षण के लिए करोड़ो रूपए खर्च किए जाते हैं लेकिन रेग्युलर फारेस्ट में बिना ऐसे किसी बजट के बाघों की मौजूदगी ने मध्य प्रदेश को एक बार फिर बाघों से उन्नत प्रदेश बनने की संभावना से भर दिया है। यह जानकारी स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट जबलपुर के उस रिसर्च में भी सामने आई थी जो प्रदेश में हुई चार वर्षीय गणना के विभिन्न स्तर को लेकर किया गया था।

यहां हुआ विस्तार

शहडोल जिले के घुनघुटी के जंगल में पहले भी बाघ दिखाई देते थे और इस बार भी यहां बाघ होने के चिन्ह पाए गए हैं।
सीधी, ब्यौहारी, अमरकंटक, डिडौंरी सहित कई अन्य जंगलाें में भी बाघ दिखाई दिए हैं।
रिसर्च के अनुसार इस बार की गणना में सतना जिले के जंगल में टाइगर दिखाई दिए और अनुमान है कि यहां 6 से 8 टाइगर हैं।

वर्ष 2018 में 741 बाघ बढ़े थे इस बार 200

चार वर्षीय बाघ आंकलन की 9 अप्रैल को जारी हुई रिपोर्ट ने वन्य प्राणी प्रमियों को चौंका दिया था। नो अप्रैल को जारी हुई रिपोर्ट के अनुसार देश में बाघों की ग्रोथ रेट बुरी तरह से डाउन हुई है। वर्ष 2022 में हुए स्टीमेशन की रिपोर्ट के अनुसार देश में इस बार महज दो सौ बाघ बढ़े हैं। जबकि वर्ष 2018 के स्टीमेशन में पूरे देश में 741 बाघ बढ़ गए थे। यह चिंतन का विषय है कि आखिर देश में बाघों की ग्राथ रेट किन वजहों से इतनी ज्यादा गिर गई है। हालांकि वन्य प्राणियों के क्षेत्र में काम करने वालों का मानना है कि 29 जुलाई को कुछ बदलाव के साथ रिपोर्ट जारी की जाएगी जिसमें बाघों की संख्या बढ़ सकती है।

इस तरह बढ़े बाघ

वर्ष 2006 में देश में महज 1411 बाघ थे। वर्ष 2010 में 295 बाघ बढ़ गए और बाघों की संख्या 1706 हो गई। वर्ष 2014 के स्टीमेशन की रिपोर्ट जारी हुई तो वह पहले से ज्यादा खुशियां लेकर आई क्योंकि इस साल देश मे 520 बाघ बढ़े थे और देश में बाघों की संख्या 2226 हो गई थी। इससे ज्यादा खुशियां वर्ष 2018 की गणना में तब आई जब देश में 741 बाघ बढ़े और बाघों की संख्या 2967 हो गई। वर्ष 2022 में हुए स्टीमेशन के बाद जो रिपोर्ट आई है उसमें महज दो सौ बाघ ही बढ़े हैं जो पिछले कई सालों की बढ़त से काफी कम है।

वर्ष 2010 में बाघों की ग्रोथ रेट 20.90 प्रतिशत थी। वर्ष 2014 में ग्रोथ रेट 30.58 प्रतिशत हो गई। वर्ष 2018 में ग्रोथ रेट 32.38 प्रतिशत हो गई। जबकि वर्ष 2022 के बाघ स्टीमेशन की रिपोर्ट के अनुसार ग्रोथ रेट महज 27.73 प्रतिशत ही है। यह ग्रोथ रेट पिछले स्टीमेशन यानी वर्ष 2018 के मुकाबले में 4.65 प्रतिशत कम है। इसकी वजह अब वे अफसर बताएंगे जो प्रोजेक्ट टाइगर के नाम पर आने वाले करोड़ों रुपयों को जंगल में खर्च करते हैं।

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