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उन्‍मेष-उत्‍कर्ष उत्‍सव में बोलीं राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, मानवता को आईना दिखाता है साहित्‍य

भोपाल। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने कहा कि राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के बाद मेरी सबसे ज्यादा यात्राएं मध्य प्रदेश में हुई है। यह मेरी मध्य प्रदेश में 5वीं यात्रा है, आप सभी से मिले इस प्यार के लिए धन्यवाद। उन्मेष का अर्थ आंखों का खुलना भी होता है और फूलों का खुलना भी। हमारी परंपरा में “यत्र विश्वं भवत्येकनीडम्” की भावना प्राचीन काल से आधुनिक युग तक निरंतर व्‍यक्‍त होती जा रही है। राष्ट्रप्रेम और विश्व बंधुत्व के आदर्श का संगम हमारे देश की चिंतन धाराओं में सदैव दिखाई देता है।

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने जयशंकर प्रसाद और गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर को भी याद किया और उनकी कविताओं का उल्‍लेख किया। उन्‍होंने कहा कि मानवता का वास्‍तविक इतिहास विश्‍व के महान साहित्‍यों में ही मिलता है। साहित्‍य मानवता को आईना भी दिखाता है, इसे बचाया भी है और आगे भी बढ़ाया है। साहित्‍य और कला ने संवेदनशीलता और करुणा को बनाए रखा है।

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने कहा कि आज 140 क

रोड़ देशवासियों का मेरा परिवार है और सभी भाषाएं व बोलियां मेरी अपनी हैं। हमारा सामूहिक प्रयास अपनी संस्कृति, लोकाचार, रीति-रिवाज और प्राकृतिक परिवेश को सुरक्षित रखने का होना चाहिए। हमारे जनजाति समुदाय के भाई-बहन और युवा आधुनिक विकास में भागीदार बनें।

राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मु आज भोपाल प्रवास पर हैं। वह सुबह साढ़े ग्‍यारह बजे विशेष विमान से यहां पहुंचीं। स्‍टेट हैंगर पर सीएम शिवराज सिंह चौहान व प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा ने उनकी आत्‍मीय अगवानी की।

यहां से राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु का काफिला रवींद्र भवन के लिए रवाना हो गया। रवींद्र भवन में उन्‍होंने एशिया के सबसे बड़े साहित्य उत्सव उन्मेष और लोक व जनजातीय अभिव्यक्तियों के कला उत्सव उत्‍कर्ष का शुभारंभ किया। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु इस कार्यक्रम में करीब दो घंटे तक रहेंगी। इससे पहले राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु इसी साल मार्च में अंतरराष्‍ट्रीय धर्म-धम्‍म सम्‍मेलन के उद्घाटन के मौके पर भोपाल आई थीं। कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु के उद्बोधन के पश्‍चात मंच लोक कलाकारों द्वारा सांस्‍कृतिक प्रस्‍तुतियां देने का सिलसिला शुरू हुआ।

साहित्य, संगीत और कला देते हैं आत्मा और मन को सुख

इससे पहले सीएम शिवराज सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे देश का इतिहास सबसे पुराना है। ये वो धरती है जिसके गांव का बच्चा-बच्चा यह बोलता है कि प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो। रोटी-कपड़ा-मकान ही हमारी जरूर नहीं है। हमें शरीर के सुख के साथ मन और आत्मा का सुख भी चाहिए। यह सुख जो देता है, वो साहित्य, संगीत और कला है। उत्कर्ष-उन्मेष जैसे कार्यक्रम हमारे संगीतज्ञ और कलाकारों को आगे लेकर आते हैं।

एमपी से जुड़े हैं कला, संगीत और साहित्य के कई नाम

सीएम शिवराज ने कहा, मध्य प्रदेश प्राचीन काल से कला और संस्कृति की संगम स्थली रही है। यह साहित्यकारों की कर्मभूमि रहा है। भीमबैठका और खजुराहो इसके साक्षात प्रमाण हैं। राजा भोज और देवी अहिल्या ने धर्म और संस्कृति के लिए कार्य किया है। लता मंगेशकर, किशोर कुमार और उत्साद अलाउद्दीन खान को इसी धतरी ने जन्म दिया। इस आयोजन पर आए सभी मेहमानों का मैं दिल से धन्यवाद देता हूं।

75 से अधिक सत्रों में 575 से अधिक लेखक

गौरतलब है कि 03 से 05 अगस्‍त तक चलने वाले ‘उन्मेष’ उत्‍सव में 75 से अधिक सत्रों में 575 से अधिक लेखक भागीदारी करेंगे। इसमें तीन राज्यों के राज्यपाल और 13 विदेशी भाषाओं के लेखक भी होंगे। चिकित्सकों का साहित्य, सागर साहित्य जैसे नए विषयों पर विमर्श होगा। इसके अंतर्गत बहुभाषी कविता पाठ, लेखन पाठ, आदिवासी कवि सम्मेलन, साहित्य के विषयों पर परिचर्चा, आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता पाठ और साहित्य के उत्थान संबंधी विभिन्न विषयों पर प्रबुद्धजनों द्वारा विमर्श किया जाएगा। इसके साथ ही “पुस्तक मेला” में साहित्य अकादमी और अन्य प्रकाशकों की पुस्तकें बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगी। उत्सव के दौरान साहित्य अकादमी द्वारा प्रख्यात लेखकों पर बनी डाक्यूमेंट्री भी दिखाई जाएंगी।

उत्‍कर्ष उत्‍सव में शाम को होंगी सांस्‍कृतिक प्रस्‍तुतियां

उत्कर्ष कार्यक्रम के तहत शाम पांच बजे से हंसध्वनि सभागार में भारत के लोक नृत्य और जनजातीय नृत्यों की प्रस्तुति दी जाएंगी। उत्सव के पहले दिन गुरुवार को शाम पांच बजे से विभिन्न राज्यों के लोक नृत्यों की प्रस्तुति दी जाएगी। लेह एवं लद्दाख का जबरो नृत्य, नगालैंड का सुमी वार नृत्य, गोवा का समय नृत्य, सिक्किम का सिंधी छम, मध्यप्रदेश का राई, बरेदी नृत्य, मेघालय का बांग्ला नृत्य, महाराष्ट्र का लावणी नृत्य, असम का बीहू नृत्य, ओडिसा का सिंगारी नृत्य, झारखंड का पाइका नृत्य और आंध्र प्रदेश के टप्पेटा गुल्लू नृत्य की प्रस्तुति होगी।

उत्‍सव के दूसरे दिन शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश के आजी लामू नृत्य, हिमाचल प्रदेश का सिरमौरी नाटी, छत्तीसगढ़ का पंथी नृत्य, राजस्थान का कालबेलिया नृत्य, असम का तिवा, हरियाणा का फाग, उत्तर प्रदेश का मयूर रास, झारखंड का झूमुर, मणिपुर का ढोल चोलम एवं थांग टा नृत्य, तमिलनाडु का करगट्‌टम, पश्चिम बंगाल का नटुवा नृत्य, कर्नाटक का पूजा कुनिथा और गुजरात का मणीयारो रास नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी।

तीसरे दिन कश्मीर के रौफ नृत्य, सिक्किम का सोराठी, बिहार का झिझिया, त्रिपुरा का होजागिरी, छत्तीसगढ़ का गौड़ मारिया, केरला का पुलकली, उत्तराखंड का छपेली, ओडिशा का गोटीपुआ, पंजाब का भांगड़ा, बंगाल का पुरुलिया छऊ, तेलंगाना का ओग्गू डोलू और मध्यप्रदेश का गुदुम बाजा नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी।

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