भगवान भोलेनाथ के स्मरण मात्र से भक्तों की सभी मनोकामना पू्र्ण हो जाती है. महादेव की कृपा से भक्त के सभी पापों का अंत होकर अंत में कैलाशपति के चरणों में शरणागति प्राप्त होती है. भगवान आशुतोष की कृपादृष्टि अपने भक्तों पर हमेशा बनी रहती है. उनकी कृपा से भोले के भक्त कभी परेशानी में नहीं पड़ते हैं और महादेव की भक्ति कर सभी तरह के सुखों को प्राप्त करते हैं.
भगवान भोलेनाथ की भक्ति पूरे साल की जाती है और भगवान नीलकंठ श्रद्धालुओं की मुराद भी पूरी करते हैं, लेकिन साल में कुछ अवसर ऐसे आते हैं जब शिव की कृपा मात्र कुछ क्षणों की भक्ति से प्राप्त हो जाती है. ऐसे ही कुछ अवसर महाशिवरात्रि, शिवरात्रि, प्रदोष और सावन मास है. इन दिनों में श्रद्धा-भक्ति से की गई शिव आराधना का फल तुरंत मिलता है. वैसे तो शिव आराधना कई तरीकों से की जाती है और भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों को क्षणमात्र की पूजा का बड़ा फल देते हैं.
शिवभक्त कैलाशपति की आराधना ब्रह्ममुहूर्त में प्रारंभ करते हैं और मध्यरात्रि तक यह सिलसिला बदस्तूर जारी रहता है. हर समय और स्थान पर की गई आराधना का फल भी अलग-अलग मिलता है. लिंग पुराण में कहा गया है कि शिवक्षेत्र का दर्शन ही पुण्यदायी होता है. उससे सौ गुना स्पर्श से फल मिलता है. जलाभिषेक से सौ गुना दूध से अभिषेक करने से, दूध से हजार गुना दही से अभिषेक करने से, दही से सौ गुना शहद से अभिषेक करने से और घी से स्नान कराने से अन्नत गुना फल मिलता है.
बावड़ी, कुएं, तालाब जो तीर्थस्थल हैं, वहां पर स्नान करने वाला पुरूष ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो जाता है. प्रात:काल को मानव शिवलिंग का दर्शन करता है वह उत्तम गति को प्राप्त करता है. इसी तरह मध्यान्ह और संध्याकाल में दर्शन करने वाला उत्तम यज्ञों का फल प्राप्त करता है|