भोपाल। एशिया के सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ ने नई उड़ान भरी है। भव्य रवींद्र सभागम केंद्र इस आयोजन से इठला रहा है, जिसमें 75 से अधिक कार्यक्रमों में 100 भाषाओं के 575 से अधिक लेखक सहभागिता कर रहे हैं। 13 अन्य देशों के लेखक भी शामिल हैं। कुछ लोग इसकी तुलना जयपुर लिटलेचर फेस्टिवल ( जेएलएफ) से कर रहे हैं। लेकिन शामिल होने आए लेखकों साहित्यकारों ने नवदुनिया से चर्चा में जेएलएफ के अपेक्षा उन्मेष को लोक के करीब बताया है। साहित्यकारों का कहना है कि यहां सभी भाषाओं, बोलियों से लेकर क्षेत्रीय लेखकों, कवियों को भी समान रूप से मंच मिल रहा है। जनवरी में हुए जेएलएफ में 21 भारतीय और 14 अंतरराष्ट्रीय भाषाओं को शामिल किया गया था।
यादगार अनुभव रहा यहां आना
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल जेएलएफ में मैंने कभी हिस्सा नहीं लिया है। हम जैसे क्षेत्रीय लेखक-साहित्यकारों को वे बुलाते ही नहीं हैं। साहित्य अकादमी के बुलावे पर उन्मेष में सहभागिता करने पटना से भोपाल आईं हूं। पहले दिन श्रोता थी और आज वक्ता के रूप में सहभागिता कर रहीं हूं। दो अनुभव पर बात करूं तो बहुत अच्छा आयोजन है। इसके पूर्व भोपाल में विश्व हिंदी सम्मेलन हुआ था, जो उन्मेष से भी अच्छा और व्यापक था। अकादमी के गत वर्ष शिमला में हुए उत्सव में भी हिस्सा लिया था, वह भी यादगार था।
– पद्मश्री उषा किरण खान, पटना की लेखिका
उत्सव की तैयारी बेहतरीन
जिस तरह से इस उत्सव में साहित्यकारों और कलाकारों को सुविधाएं दी गई है उस लिहाज से बेहतरीन तैयारी की गई है। साहित्य अकादमी के इस आयोजन की सभी तारिफ कर रहे हैं। साहित्यकारों के साथ अच्छा समन्वय स्थापति किया गया। उन्हें होटल से आने और ले जाने की उचित व्यवस्था की गई है। देश और विदेशभर के साहित्यकारों को एक मंच देना बड़ी बात है। साथ ही उन्हें किसी भी चीज की कमी भी महसूस नहीं होने दी है। यहां आकर देखा कि भले ही वक्ता अन्य देशों से आए हो लेकिन सभी की भाषा कविता और साहित्य ही है। जो देश के लिए बड़ी बात है। मैंने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल जेएलएफ के बारे में दोस्तों से ही सुना है लेकिन उन्मेष में मुझे अच्छा अनुभव मिला है।
– महुआ सेन, हैदराबाद की कवयित्री
अन्य साहित्यकारों से मिलने का अवसर मिला
यहां मुझे 13 देशों की 100 भाषाओं को जानने का मौका मिला। मैं शिलांग से यहां आया हूं। इससे पहले शिमला में हुए उत्सव में भी शामिल हुआ था। लेकिन यहां का अनुभव यादगार रहेगा। मुझे जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में जाने का अवसर नहीं मिला है। वह भी देश का जाना-माना फेस्ट है। लेकिन एशिया के सबसे बड़े साहित्यिक उत्सव में शामिल होना बड़ी बात है। यहां अन्य साहित्यकारों से मिलने का अवसर और उनका अनुभव जानने का मौका मिला। जो मेरे करियर में जरूर काम आएगा।
– जायसिंह तोकबी, कवि
दोबारा यहां जरूर आना चाहूंगी
साहित्य अकादमी के इस आयोजन में देशभर के साहित्यकारों और कवियों से मिलने का मौका। उनकी भाषा के साथ उनके लिखने की शैली को समझा। मैं शिलांग से इस समारोह में हिस्सा लेने आई हूं। आने से पहले मन में विचार थे कि वहां कैसी व्यवस्था होगी लेकिन यहां आने के बाद मुझे खुशी मिल रही है। अगर यहां ऐसा समारोह दोबारा होता है तो मैं जरूरी आना चाहूंगी। मैं असम से भोपाल आई हूं।
– मैत्रयी पातर, कवयित्री