भोपाल। कूनो नेशनल पार्क में चीतों के लिए पर्याप्त भोजन न होने का तथ्य सामने आने के बाद एक बार फिर कूनो में चीतल शिफ्ट करने की तैयारी शुरू हो गई है।
रास्ते में गायब हो गए चीते
वैसे तो हाल ही में पेंच टाइगर रिजर्व से लगभग 60 चीतल कूनो भेजे गए थे, लेकिन इनमें से कुछ रास्ते में गायब गए हैं। अब पेंच एवं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अलावा अन्य उन स्थानों से भी चीतल भेजे जाएंगे, जहां संख्या अधिक है। ताकि चीतलों का घनत्व (डेंसिटी) प्रति वर्ग किमी 25 तक पहुंच जाए। वर्तमान में कूनो में एक वर्ग किमी में 18 चीतल हैं।
वर्ष 2023 में संख्या और घट गई
जब चीता परियोजना तैयार की जा रही थी, तब कूनो में 28 चीतल प्रति वर्ग किमी थे, जो वर्ष 2021 में घटकर 23 प्रति वर्ग किमी रह गए और वर्ष 2023 में यह संख्या और घटी। वर्तमान में 18 चीतल प्रति वर्ग किमी हैं। लगातार घटती संख्या पर अफ्रीका के चीता विशेषज्ञों और भारतीय वन्यजीव प्रबंधन संस्थान देहरादून के विज्ञानियों ने भी प्रश्न उठाए हैं।
चीतल का ही शिकार कर सकता है चीता
दरअसल, बाघ और तेंदुआ की तुलना में चीता कमजोर होता है। वह जंगली सुअर या नीलगाय का शिकार करने में पूरी तरह से सक्षम नहीं है। वह ठीक से चीतल का ही शिकार कर सकता है। वहीं ज्यादा देर तक दौड़ भी नहीं पाता है।
चीतल को पकड़ना भी आसान नहीं
जानकार बताते हैं कि जब प्रति वर्ग किमी घनत्व कम होगा, तो चीतल को पकड़ना भी आसान नहीं होगा, क्योंकि एक स्थान पर उनके बड़े झुंड नहीं मिलेंगे। इस कारण किसी एक को टारगेट कर पकड़ना आसान नहीं है। पार्क में भोजन की कमी के कारण ही चीते दो सौ किमी दूर उत्तर प्रदेश की सीमा में बार-बार जा रहे थे, जिन्हें ट्रंकुलाइज करके वापस लाना पड़ रहा था।
वर्षा के दौर कम होने पर शिफ्ट होंगे
अन्य पार्कों से चीतलों को पकड़कर कूनो भेजने के लिए वर्षा का दौर कम होने का इंतजार किया जा रहा है। प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र में वर्षा होने से नदी-नालों में पानी है। पार्कों के कुछ हिस्सों में जाना भी मुश्किल हो रहा है। वहीं, यह वन्यप्राणियों का ब्रीडिंग काल भी है। ऐसे में बोमा बड़ा लगाना, चीतलों को हांककर बाड़े के माध्यम से शिफ्टिंग ट्रक में पहुंचाना कठिन काम है। इसिलए थोड़ा इंतजार किया जा रहा है।