नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात की एक दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की अनुमति देते हुए अहम टिप्पणी की। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि भारतीय समाज में शादी के बाद प्रेग्नेंस की खबर से सबको खुश मिलती है, लेकिन दुष्कर्म की स्थिति में जब महिला अनचाहे गर्भ का शिकार होती है तो यही मानसिक पीड़ा का कारण बनती है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 19 जुलाई को सुनवाई की थी और गुजरात हाईकोर्ट को फटकार लगाई थी। शनिवार को छुट्टी होने के बावजूद जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस उज्जवल भुइयां की स्पेशल बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की थी।
शनिवार की सुनवाई में जजों ने दोबारा मेडिकल जांच का आदेश देते हुए अस्पताल से रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट मिलने के बाद सोमवार को फैसला सुनाया गया।
सुप्री कोर्ट ने हाई कोर्ट को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट की आलोचना की, जिसने गर्भपात की पीड़िता की याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में तत्काल सुनवाई होना चाहिए, न कि इसे एक सामान्य मामला मानकर उदासीन रवैया अपनाना चाहिए।
गुजरात हाईकोर्ट ने पीड़िता की गर्भपात वाली याचिका 17 अगस्त को खारिज कर दी थी। इसके खिलाफ याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। 19 अगस्त को सुनवाई करते हुए जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि ऐसे मामलों में जब एक-एक दिन अहम होता है, तो सुनवाई की तारीख क्यों टाली गई?
हाईकोर्ट ने 11 अगस्त को इस केस की तत्काल सुनवाई ना करते हुए अगली तारीख 12 दिन बाद दी थी।