Home News Update स्कंद षष्ठी 22 अगस्त को, भगवान कार्तिकेय की पूजा करते समय ये...

स्कंद षष्ठी 22 अगस्त को, भगवान कार्तिकेय की पूजा करते समय ये रखें सावधानी

Skanda Shashthi

 

हिंदू धर्म में कई महत्वपूर्ण त्योहार व पर्व मनाए जाते हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत का रखा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि भक्ति एवं विश्वास के साथ यदि स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है तो जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार 22 अगस्त को स्कंद षष्ठी का व्रत का पूजन किया जाएगा। इस व्रत को करने से संतान सुख एवं संतान की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है।

स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा का बहुत महत्व है। भगवान श्री गणेश का जहां किसी भी शुभ कार्य में प्रथम पूजनीय माना जाता है, वहीं भगवान कार्तिकेय को दक्षिण भारत में पूजा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान कार्तिकेय का पूजन करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद के नाम से भी जाना जाता है। स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता है।

जानें क्या है धार्मिक मान्यता

पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि भगवान कार्तिकेय का जन्म भगवान शिव की तीसरी आंख से निकली चिंगारी से हुआ था। भगवान कार्तिकेय को मुरुगन, स्कंद, सुब्रमण्यम आदि कई नामों से पूजा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि नवविवाहित जोड़े यदि इस व्रत को करते हैं तो जल्द ही संतान प्राप्ति का सुख मिलता है।

पूजा विधि

सूर्योदय से पहले उठें और नित्यकर्म आदि के बाद स्नान करें।
साफ वस्त्र धारण करें और भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं।
व्रत का संकल्प लेकर पूजा के स्थान को साफ करें और मंदिर में दीपक जलाएं।
लाल वस्त्र बिछाकर भगवान मुरुगन की प्रतिमा स्थापित करें।
भगवान मुरुगन का गंगाजल से अभिषेक करें।
भगवान का ध्यान करें और मंत्र का जप करते हुए पूजा प्रारंभ करें।
भगवान को फूल, चंदन, कुमकुम, फल और दूध को अर्पित करें।
व्रत कथा पढ़ने के बाद भगवान की आरती करें।
भगवान मुरुगन को भोग अर्पित करें।

Exit mobile version