मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अध्यात्म हमारा मूल्य है, मैं जो भी कर पाता हूँ उसका आधार अध्यात्म ही है। हम सब एक ही चेतना के अंग हैं। अद्वैत वेदांत ही सब कुछ है। भागवत का सार है प्रेम और प्रेम का मूल एकता है। मुख्यमंत्री चौहान ने यह बात कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में क्षेत्रीय न्यूज चैनल द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव में “जन-गण-मन राइज़िंग एमपी” कार्यक्रम में कही।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि दुनिया हमारा स्थाई घर नहीं है। मनुष्य को एक-दूसरे के प्रति सदभावना रख कर कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए। बेहतर कार्य करने की कोशिश करें। इसी में जीवन की सार्थकता है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सबको साथी और मित्र मान कर अपना कार्य ढंग से करते रहें। आलोचनाओं से बच कर मेहनत और ईमानदारी से कार्य करें। अच्छे श्रोता बनें और अच्छे गुणों को भी ग्रहण करें। परिवार को भी आप मित्र मानें।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आदिगुरू शंकराचार्य ने सनातन संस्कृति को जीवित रखा है। भारत को सांस्कृतिक रूप से एक बनाने में उनका योगदान है। उनके विचारों को जन-जन तक ले जाना हमारा कर्त्तव्य है। अद्वेत वेदांत का प्रचार-प्रसार पवित्र कार्य है। उन्होंने कहा कि आनंद पद और दौलत से नहीं मिलता है। आनंद तो अंदर से मिलता है। इसे ध्यान में रख कर हमने आनंद विभाग बनाया है। जिसके पास जो अधिक है उसे दूसरों को देने में आनंद मिलता है। आनंदम केंद्रों पर जाकर जरूरतमंद लोग सामग्री ले सकते हैं। प्रदेश में आनंद उत्सव मनाने के लिए कार्यक्रम होंगे।