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इंदौर के 228 साल पुराने मंदिर में मां यशोदा की गोद में बैठे हैं नंदलाल

sitting on mother Yashoda's lap

 

इस मंदिर में निसंतान दंपती संतान की कामना से माता यशोदा की गोद भराई करते हैं

आपने भगवान श्रीराम, हनुमानजी, विष्णु, शिव और श्रीकृष्ण के कई मंदिर देखे होंगे, जहां लोग अपनी मनोकामना के लिए जाते हैं। लेकिन इन भगवान को पाल-पोसकर बड़ा करने वाली माताओं के मंदिर शायद ही आपने कहीं देखे होंगे। भगवान कृष्ण को पालने वाली माता यशोदा का मंदिर जरूर इंदौर में बना है। इस मंदिर में मां यशोदा नंदलाल को गोद में लेकर बैठी हैं। यहां देशभर से निसंतान दंपती संतान प्राप्ति की कामना लिए आते हैं।

इंदौर के राजवाड़ा क्षेत्र में 228 साल पुराना यशोदा माता मंदिर है। यह मंदिर कृष्ण भक्तों के बीच विशेष आस्था का केंद्र है। माता यशोदा की गोद में विराजित कान्हा के दर्शन के लिए निसंतान दंपती का तांता लगा रहता है। यहां संतान की कामना से गोद में कान्हा को लिए माता यशोदा की मूर्ति के पूजन के लिए देशभर से लोग आते हैं। गुरुवार को महिलाएं मां यशोदा का पूजन करती हैं और चावल, नारियल और अन्य सामग्री से उनकी गोद भरती हैं।

रोजाना होता है श्रृंगार

मंदिर में मां यशोदा की कान्हा को अपने आंचल में समेटे हुए बहुत ही खूबसूरत मूर्ति है। यशोदा मैया की गोद में कृष्ण का बाल रूप विराजमान हैं। जिनका रोज़ाना साज-श्रृंगार होता है। इनके अलावा मंदिर में नंदबाबा और राधा-कृष्ण की मूर्तियां भी हैं।

जयपुर से बैलगाड़ी में आई थी मूर्ति, इंदौर आने में लगे थे 40 दिन

मंदिर के पुजारी महेंद्र दीक्षित बताते हैं कि इस मंदिर में विराजित मूर्ति जयपुर से बैलगाड़ी में लाई गई थी। इसे लाने में 40 दिन लगे थे। जन्माष्टमी पर मंदिर आकर्षक साज-सज्जा की गई है। जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगेगा। भगवान के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु आएंगे।

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