नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र को लेकर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर इसमें आने वाले विशेष एजेंडे को सार्वजनिक करने की मांग की थी। इस पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोनिया गांधी को जवाब देते हुए लिखा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप लोकतंत्र के मंदिर संसद में हो रहे कामकाज का भी राजनीतिकरण करने का प्रयास कर रही हैं। केंद्रीय मंत्री ने लिखा है कि जिस मामले में कोई विवाद नहीं है, वहां आप अनावश्यक रूप से विवाद उत्पन्न करना चाह रही हैं। पढ़िए क्या लिखा है पत्र के जवाब में…
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को लिखा गया है कि “जैसा कि आपको विदित है, अनुच्छेद 85 के तहत संसद सत्र नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं। राष्ट्रपति समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर, जो वह ठीक समझे, अधिवेशन के लिए आहूत करेगा, लेकिन उसके एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छह महीने का अंतर नहीं होगा।”
आपको संसद की परंपराओं का ध्यान नहीं
“पूर्ण रूप से स्थापित प्रक्रिया का पालन करते हुए ही संसदीय कार्य संबंधी मंत्रिमंडल समिति के अनुमोदन के पश्चात, राष्ट्रपति महोदया द्वारा 18 सितंबर से प्रारंभ होने वाले संसद सत्र को बुलाया है। शायद आपका परंपराओं की ओर ध्यान नहीं है। संसद सत्र बुलाने से पहले न कभी राजनीतिक दलों से चर्चा की जाती है और न कभी मुद्दों पर चर्चा की जाती है। महामहिम राष्ट्रपति के सत्र बुलाने के बाद और सत्र प्रारंभ होने के पहले सभी दलों के नेताओं की बैठक होती है, जिसमें संसद में उठने वाले मुद्दों और कामकाज पर चर्चा होती है।”
केंद्रीय मंत्री ने लिखा है, “मैं यह भी बताना चाहूंगा की हमारी सरकार किसी भी मुद्दे पर हमेशा चर्चा करने के लिए तैयार रहती है। वैसे तो आपने जिन मुद्दों का उल्लेख किया है वह सभी मुद्दे अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कुछ ही समय पूर्व मानसून सत्र के दौरान उठाए गए थे और सरकार द्वारा उन पर जवाब भी दिया गया था।”
“संसद सत्र की कार्यसूची हमेशा की तरह स्थापित आचरण के अनुसार उचित समय पर परिचालित की जाएगी। मैं यह भी फिर से ध्यान दिलाना चाहता हूं कि हमारी संसदीय कार्यप्रणाली में चाहे सरकार किसी भी दल की रही हो, आज तक संसद बुलाने के समय कार्यसूची पहले से कभी भी परिचालित नहीं की गई।”
केंद्रीय प्रह्लाद जोशी ने सोनिया गांधी को जवाब देते हुए लिखा है कि “मुझे पूर्ण विश्वास है कि संसद की गरिमा बनी रहेगी और इस मंच का उपयोग राजनीतिक विवादों के लिए नहीं किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, मैं आगामी सत्र को सुचारू रूप से चलाने में आपके पूर्ण सहयोग की अपेक्षा करता हूं जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय हित में सार्थक परिणाम सामने आ सकें।”