भोपाल, भोपाल जिले की सभी विधानसभा सीटों पर जातिगत, सामाजिक समीकरण हावी है। रोजगार जैसे मुद्दे जमीन से गायब! महंगाई की चर्चा पर सब मौन!
बात करें औद्योगिक क्षेत्र भेल की तो यहाँ से प्रभावित होने वाले विधानसभा क्षेत्र नरेला, गोविंदपुरा भी रोजगार से ज्यादा जातिगत समीकरण आधारित राजनीति के घेरे में है जहां गोविंदपुरा का वोटिंग समीकरण पिछड़ी जातियों पर निर्भर है वही नरेला में मुस्लिम आबादी निर्णयक भूमिका में है।
बात हुजूर विधानसभा की करें तो इसके एक किनारे में बैरागढ़ का बाजार है तो दूसरे छोड़ पर मंडीदीप औधोगिक क्षेत्र लगा हुआ है यहाँ भी वोट सिंधी, मीणा, लोधी, विश्वकर्मा समाज मे बांटा हुआ है।
दक्षिण-पश्चिम विधानसभा पढ़े-लिखे नौकरी पेशा आबादी का सघन क्षेत्र है परन्तु यहाँ भी राजनीतिक समीकरण कायस्थ और ब्राह्मण वोट पर निर्भर है।
मध्य विधानसभा क्षेत्र ने सबसे ज्यादा प्रभुत्वशाली लोगो का निवास है यहां बड़े बड़े बिजनेस मैन, प्रोफेशनलर्स रहते है वही सबसे ज्यादा स्वरोजगारमुखी निवास करते है यहाँ हिन्दू-मुस्लिम आबादी मिक्स समीकरण है।
बैरसिया विधानसभा पूणतः कृषि आधारित आबादी क्षेत्र है SC आरक्षित सीट है, यहाँ भी जाति आधारित राजनीति का प्रभाव है, गुर्जर, दांगी, ब्राह्मण मतदाता परिणाम तय करेंगे।
उत्तर विधानसभा मुस्लिम बहुल सीट है यहाँ राजधानी का 25 प्रतिशत से ज्यादा व्यापार होता है, रोजगार यहाँ चुनावी मुद्धा नही होता।