इंदौर। आजकल सेहतमंद रहने के लिए लोग कई तरह के जतन कर रहे हैं। यदि भोजन प्रणाली और भोजन की थाली को बेहतर कर लिया जाए तो कई रोगों से बचा जा सकता है। क्या आप जानते हैं कि भारतीय भोजन पद्धति और भारतीय भोजन की थाली कई मायनों में सेहतमंद साबित होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय भोजन पद्धति मानव शरीर संरचना के अनुरूप है और भोजन की थाली जलवायु, मौसम व शरीर के अनुरूप होती है।
आहार व पोषण विशेषज्ञ विनीता जायसवाल के अनुसार, भारतीय थाली में सभी आवश्यक पोषण तत्व होते हैं। हमारे देश में हर प्रांत का अपना भोजन है जो वहां की जलवायु और कार्यपद्धति पर केंद्रीत है, जिसमें संतुलित मात्रा में पोषक तत्व शामिल होते हैं। इन्हीं में से एक है भारतीय भोजन की थाली। यह थाली चाहे पंजाब, गुजरात, राजस्थान या महाराष्ट्र किसी भी प्रदेश की हो, उसमें फायबर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, विटामिन और कैलि्शयम सब कुछ शामिल होता है।
दोनों वक्त भारतीय थाली को अपनाएं
यदि सेहतमंद रहना है तो दोनों वक्त भारतीय थाली को अपनाएं। इस थाली में रोटी और चावल के रूप में कार्बोहाइड्रेट होता है तो दाल (सभी तरह की दालें, राजमा, छोले, चवला), दही, मट्ठा, पनीर के रूप में प्रोटीन शामिल होता है। भारतीय भोजन की थाली में खट्टा, तीखा, मीठा, कसैला आदि स्वाद शामिल होता है।
प्रोटीन, कैल्शियम, फायबर व आयरन सब होता है थाली में
बात अगर मिठाई की करें तो वह भी भोजन की थाली में होती है। मसलन थाली में यदि रसगुल्ला या छेने से बनी मिठाई, खीर है तो उसमें भी प्रोटीन व कैलि्शयम होता है। यदि हलवा आदि है तो उसमें घी होने से अच्छी वसा प्राप्त होती है। यदि गुड़ भी खाया जाता है तो उसमें आयरन होता है। थाली में हरी सब्जी, चटनी और सलाद के होने से फायबर व आयरन मिलता है।
जो दूध नहीं पीता, उसके लिए अन्य खाद्य सामग्री
दूध का सेवन भी शरीर के लिए आवश्यक है और जो लोग दूध नहीं पीते उनके लिए भारतीय थाली में दही, छाछ, मट्ठा, श्रीखंड, छेना, मावा रहता है। दोनों ही वक्त के भोजन में दाल और सब्जी जरूर शामिल करें। यदि हम हल्के भोजन के रूप में खिचड़ी या दलिया बना रहे हैं तो उसमें भी दाल, मूंगफली दाना, हरी सब्जी आदि शामिल करें।