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आरक्षण बिल महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम

लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटों का आरक्षण सुनिश्चित करने वाला यह विधेयक संसद में विशेष सत्र में पेश हो रहा है।महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का विधेयक सबसे पहले एच.डी. देवगौड़ा सरकार द्वारा 1996 में पेश किया गया था। कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने 2008 में इस कानून को फिर से पेश किया। यह कानून 2010 में राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था, लेकिन यह लोकसभा में पारित नहीं हो सका और 2014 में इसके विघटन के बाद यह समाप्त हो गया।

मंगलवार 19 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के विशेष सत्र के पहले दिन के बीच कैबिनेट की बैठक बुलाई। कैबिनेट की इस मीटिंग में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी गई। लगभग डेढ़ घंटे तक चली इस बैठक के बाद सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं हुई। संसद में सरकार इसी सत्र में बिल को पास कराने की पूरी कोशिश करेगी।

वैसे कांग्रेस ने हाल ही में संपन्न दो दिवसीय कार्य समिति की, जो कि पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है, उसने अपनी बैठक में अपने प्रस्ताव में महिला आरक्षण विधेयक को संसद के विशेष सत्र में पारित करने की मांग की थी। सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने विशेष सत्र में विधेयक पारित करने की मांग की। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 19 सितंबर, मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लंबे समय से प्रतीक्षित महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दिए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘यह हमारा है।’ मंगलवार सुबह संसद पहुंचने के बाद सोनिया गांधी ने तीखा जवाब दिया। जब उनसे महिला आरक्षण विधेयक दोबारा संसद में लाए जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘यह हमारा है, अपना है।’

राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने ट्वीट कर लिखा कि पीएम मोदी की कैबिनेट ने महिला आरक्षण बिल को मंजूरी देकर महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। ये बिल महिलाओं को संसद और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई प्रतिनिधित्व देगा। हाल ही में बेंगलुरु में चंद्रयान 3 के सफल लॉन्च के बाद प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि ‘नारी शक्ति जीवन का शिखर और परिवर्तन का उत्प्रेरक है।’

कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट कर लिखा, ‘यदि सरकार महिला आरक्षण विधेयक लाती है तो ये कांग्रेस और यूपीए सरकार के घटक दलों की जीत होगी। याद है, यूपीए सरकार के दौरान ही ये बिल राज्यसभा से नौ मार्च 2010 को पास हुआ था। उम्मीद है कि ये बिल इस सत्र में पेश किया जाएगा और इसी सत्र में पास किया जाएगा।’

इस प्रकार हम देखते हैं कि कमोबेश सभी दल यह चाहते हैं कि महिला आरक्षण बिल इस विशेष सत्र में पास हो जाए। सभी संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में यह बिल बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होगा । यह कहना गलत नहीं होगा कि मोदी सरकार को निश्चित रूप से इसका श्रेय मिलेगा।

मध्यप्रदेश भाजपा की पूर्व प्रदेश प्रवक्ता और महिलाओं के अधिकारों के लिए कार्य करने वाली संस्था राज्य महिला आयोग से जुड़ी रही वरिष्ठ महिला नेत्री राजो मालवीय ने चर्चा में बताया

भारत की नवीन संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा नारी शक्ति वंदन अधिनियम प्रस्तुत किया गया जो भारत की संसद लोकसभा और विधानसभा में महिला आरक्षण से संबंधित अधिनियम है भारत की सरकार का देश की मातृशक्ति के प्रति उठाया गया अत्यंत सम्मानजनक कदम है जो देश की महिलाओं के जीवन में आमूल चूल परिवर्तन करेगा क्योंकि अब बहनें अनिवार्य रूप से उस सदन की सदस्य बनेगी जिस सदन में राष्ट्र को चलाने के नियम कानून बनाए जाते हैं अनेक विघ्न बधाओं को पार करते हुए आज का दिन भारत के इतिहास का अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है और इस महत्वपूर्ण कार्य का श्रेय ईश्वर ने मोदी जी को दिया है हम संपूर्ण मातृशक्ति की ओर से माननीय प्रधानमंत्री जी का आभार व्यक्त करते हैं साथ ही अपेक्षा करते हैं की सभी राजनीतिक दल इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करेंगे।

Knowledge Area

– What is Nari Shakti bill?

The Nari Shakti Vandan Adhiniyam, commonly known as the women’s reservation bill, was introduced in the Lok Sabha on September 19 during the special session of Parliament. The Bill seeks to reserve one-third of seats in the Lower House and state legislative Assemblies.

– What is the status of women’s reservation bill?

The Rajya Sabha passed the bill on 9 March 2010. However, the Lok Sabha voted on the bill. The bill lapsed since it was still completed in Lok Sabha and the Lok Sabha expired during this two times in 2014 and 2019.

 

 

 

 

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