भारत की दिग्गज कंपनियों टीसीएस, विप्रो और इंफोसिस ने कनाडा की इकॉनमी में भारी निवेश किया हुआ है। कनाडा में ये कंपनियां हजारों लोगों को रोजगार दे रही हैं। अगर ये कंपनियां कनाडा से अपना कारोबार समेटती हैं तो वहां की इकॉनमी पर असर पड़ने के साथ हजारों लोगों के सामने रोजगार की समस्या खड़ी हो जाएगी। भारत की इन प्रमुख कंपनियों ने कनाडा के वैंकूवर, कैलगरी और टोरंटो में अपने सेंटर खोले हुए हैं। इधर भारत और कनाडा के बीच तनाव अभी कम होता नजर नहीं आ रहा है।
अभी हाल ही में आनंद महिंद्रा के महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप ने कनाडा में अपनी सब्सिडियरी कंपनी रेसन एयरोस्पेस कॉरपोरेशन का ऑपरेशन बंद कर दिया है। जेएसडब्ल्यू स्टील ने भी कनाडा की टेक रिसोर्सेज के साथ होने जा रही एक डील को स्लोडाउन कर दिया है।
भारतीय आईटी कंपनियों ने कनाडा में बड़ा निवेश किया हुआ है। टोरंटो में विप्रो लिमिटेड विप्रो एडब्ल्यूएस लॉन्च पैड सेंटर चलाती है। वहीं टीसीएस का भी कनाडा में बड़ा कारोबार है। इससे कनाडा की इकॉनमी को भी फायदा हो रहा है।
इंफोसिस ने अपनी अमेरिकी इकाई इंफोसिस पब्लिक सर्विसेस (IPS) की एक सब्सिडियरी बनाई है। कनाडा के ऑपरेशंस का हेडक्वार्टर ओटावा में हैं, जहां कंपनी का ऑफिस 10 हजार वर्ग फुट से ज्यादा बड़े एरिया में फैला है।
भारतीय उद्योग परिसंघ यानी सीआईआई की इस साल मई में जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय कंपनियों ने कनाडा में 6.6 अरब कनाडाई डॉलर यानी 40,500 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया हुआ है। इन कंपनियों में हजारों लोग नौकरी कर रहे हैं।
कनाडा में 30 भारतीय कंपनियों ने 6.6 अरब कनाडाई डॉलर का निवेश किया हुआ है। इससे कनाडा के 8 प्रांतों में 17,000 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। भारतीय कंपनियों ने कनाडा में अनुसंधान व विकास कार्यों पर 70 करोड़ कनाडाई डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। सीआईआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वेक्षण में शामिल 85 फीसदी कंपनियों ने भविष्य के इनोवेशंस के लिए फंडिंग बढ़ाने की उम्मीद जताई थी।