इस बार 2 अक्टूबर को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को यह पर्व मनाया जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने से साधक के यहां हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। दुख और परेशानियां दूर हो जाती हैं। पंडित आशीष शर्मा के अनुसार, विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर इस बार कई दुर्लभ शुभ संयोग बन रहे हैं। इन शुभ योगों में संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से दोगुना फल प्राप्त होता है। आइए, जानें कि कौन-से शुभ योग बन रहे हैं और इनका क्या लाभ होगा।
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की चतुर्थी 2 अक्टूबर को सुबह 7:36 बजे शुरू होकर अगले दिन (3 अक्टूबर) को सुबह 6:11 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के मुताबिक विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2 अक्टूबर को मनाई जाती है।
हर्षण योग
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन हर्षण योग बन रहा है। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से दोगुना फल मिलता है। हर्षण योग में शुभ कार्य करने चाहिए। हालांकि, पितृ पक्ष में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता, इसलिए हर्षण योग में गणेश जी की विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं। सोमवार को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी है।वहीं, सोमवार का दिन भगवान शिव को भी समर्पित माना जाता है। इस दिन शिव के साथ-साथ उनके पूरे परिवार की पूजा करने से हर मनोकामनाएं पूरी होती है।
संकष्टी चतुर्थी दुर्लभ संयोग
ब्रह्म मुहूर्त – 04:37 मिनट से 05:26 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02:29 मिनट से 02:56 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06:06 मिनट से 06:31 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त – 11:44 मिनट से 12:30 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:47 मिनट से 12:34 मिनट तक
अमृत काल – दोपहर 01:49 मिनट से 15:21 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 14 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 06 मिनट पर