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कांग्रेस की मुसीबत बनी गुटबाजी, टिकट वितरण के बाद सतह पर आई कलह

Factionalism became a problem for Congress

 

भोपाल। विधानसभा चुनाव जीतने का दावा कर रही कांग्रेस की आंतरिक स्थिति अब ढकी-छिपी नहीं रही। टिकट वितरण के बाद गुटबाजी सतह पर आ गई है। कई सीटों पर हंगामा भी हुआ। कार्यकर्ताओं को समझाने के बजाए कांग्रेस के बड़े नेताओं कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच मतभेद सड़क पर आ गए।

कई सीटों की यही कहानी

मामला सिर्फ शिवपुरी सीट का नहीं है बल्कि कुछ और भी सीटें हैं, जहां यही कहानी है। गोटेगांव सीट से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का टिकट काटने का कारण राहुल गांधी के सर्वे में नाम न होना बताया गया है, जबकि पार्टी के प्रादेशिक नेता इससे असहमत हैं।

एनपी के मामले में यह दलील

कहा जा रहा है कि एनपी कांग्रेस में बड़ा दलित चेहरा हैं इसलिए उन्हें रास्ते से हटाया गया है। इधर, मालवांचल की जिन आदिवासी सीटों की बदौलत कांग्रेस की सरकार बनी थी, वहां भी टिकट वितरण से नाराजगी है। टिकट वितरण में कांतिलाल भूरिया के समर्थकों को प्रत्याशी बनाए जाने से आलीराजपुर-झाबुआ में आदिवासी नाराज हैं।

भूरिया के बेटे विक्रांत को दिया टिकट

झाबुआ से भूरिया के बेटे विक्रांत को टिकट मिला है। गौरतलब है कि भूरिया को आदिवासी चेहरा होने के कारण कांग्रेस ने चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष भी बनाया था, इसके बाद से ही उनके गृह जिले और आसपास के क्षेत्र में नाराजगी बढ़ रही है।

आदिवासी राजनीत‍ि गर्म

कांग्रेस में इन दिनों आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासी राजनीति गर्म है। खासतौर से कांग्रेस के आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया के क्षेत्र झाबुआ और आलीराजपुर में बेहद नाराजगी है। जोबट से वर्ष 2018 में कलावती भूरिया विधायक चुनी गई थी लेकिन कोविड में निधन होने से वहां उपचुनाव हुआ और सुलोचना रावत चुनाव जीत गईं।

सेना महेश को मिल गया टिकट

जोबट से आलीराजपुर युवक कांग्रेस के अध्यक्ष दीपक भूरिया टिकट की दौड़ में थे लेकिन कांग्रेस ने सेना महेश पटेल को टिकट दे दिया। सेना आलीराजपुर नगरपालिका अध्यक्ष भी हैं। दीपक ने इससे नाराज होकर इस्तीफा दे दिया। सेना के देवर आलीराजपुर से मुकेश पटेल को दोहराया है। एक ही परिवार में दो टिकट देने से आदिवासी भी नाराज हैं।

जेवियर की जगह विक्रांत को टिकट

इधर, जेवियर मेढ़ा झाबुआ से टिकट मांग रहे थे लेकिन कांग्रेस ने वहां विक्रांत भूरिया को टिकट दे दी। दरअसल, इस सीट में वर्ष 2018 में भाजपा के गुमान सिंह डामोर चुनाव जीते थे। बाद में वह सांसद चुने गए तो उपचुनाव कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया जीत गए। जेवियर मेढ़ा इस सीट से 2008 में विधायक रहे हैं, इस आधार पर वे टिकट मांग रहे थे। अब मेढ़ा खुलकर कांग्रेस का विरोध कर रहे हैं और चुनाव में बागी होकर ताल ठोंकने का एलान भी कर रहे हैं।

इसाई वोट भी कांग्रेस से खफा

पार्टी नेताओं का कहना है कि मेढ़ा के पार्टी छोड़ने से इसाई वोट भी कांग्रेस से खफा है। मेढ़ा ने भी विक्रांत भूरिया के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। इसी तरह नागौद से टिकट न मिलने से नाराज पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह ने पार्टी छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया। पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। उन्होंने भी गुटबाजी को लेकर आरोप लगाया है। टीकमगढ़ के खरगापुर विधानसभा क्षेत्र से टिकट की मांग रहे अजय यादव ने भी पार्टी की सदस्यता से त्यागपत्र देते हुए संगठन में पिछड़ा वर्ग और कार्यकर्ताओं की पूछपरख न होने का आरोप लगाते हुए न्याय यात्रा प्रारंभ कर दी है।

कांग्रेस बड़ा परिवार, गुटबाजी नहीं : कमल नाथ

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ का कहना कि पार्टी में गुटबाजी जैसी कोई बात नहीं है। कांग्रेस बड़ा परिवार है। चार हजार आवेदन आए थे। सबको तो टिकट नहीं मिल सकता है। टिकट वितरण में सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हैं, सहमति बनाते हुए प्रत्यशियों का चयन किया गया है। जो नाराज हैं, वे भी हमारे अपने हैं। सबसे चर्चा हो रही है और हम सबका लक्ष्य एक है और वह भाजपा के कुशासन से मध्य प्रदेश की मुक्ति का है।

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