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शिक्षा के नाम पर है बस घोटाला, क्योंकि ‘मामा’ की दाल में हमेशा कुछ काला: रागिनी नायक


भोपाल, कांग्रेस दफ्तर में आयोजित प्रेस वार्ता, कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता रागिनी नायक ने कहा मैं साहित्य अकादमी पुरस्कार और मध्यप्रदेश शासन के शिखर सम्मान से अलंकृत, मध्यप्रदेश होशंगाबाद की पावन धरा पर जन्मे, सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारक-कवि, मेरी बुआ के ससुर श्री भवानी प्रसाद मिश्र-मन्ना जी द्वारा रचित इन पंक्तियों से करना चाहती हूं …….
कुछ लिखकर सो, कुछ पढ़कर सो
तू जिस जगह जागा, उस जगह से बढ़ के सो
शिक्षा-पढ़ाई लिखाई-ही स्वयं को जागृत करने और जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता है।
Education is the biggest emancipator
प्रगति, उन्नति, विकास का माध्यम शिक्षा है। सुप्रसिद्ध लेकर टपबजवत भ्नहव ने तो यहां तक कहा था कि – He who opens a school door
Closes a Prison
वो जो स्कूल का दरवाजा खोलता है,
वो जेल के दरवाजे़ बंद करता है।
सही मायने में शिक्षा न केवल हर व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है, बल्कि घर, समाज, प्रदेश और देश की दशा व दिशा में अभूतपूर्व सुधार लाती है।

– पर जब मध्यप्रदेश के पात्र 95 लाख युवाओं में से 70 लाख उच्च शिक्षा से वंचित हों
– स्कूलों में 98, 562 शिक्षकों के पद खाली हों

गुरू समान दाता नहीं
याचक शीष समान
तीन लोक की सम्पदा
सो गुरू दीन्ही दान

अब यहां गुरू ही नहीं हैं, तो शिक्षा का दान देगा कौन और ग्रहण कौन करेगा?

– 36,498 स्कूलों में बिजली न हो
– 95,102 स्कूलों में विज्ञान प्रयोगशाला न हो
– 35,491 स्कूलों में लायब्रेरी न हो

तो मोदी और मामा दोनों बताएं कि देश और प्रदेश में –
अच्छे दिन कैसे आएंगे?
सबका साथ सबका विकास कैसे होगा?
5 ट्रिलियन की एकानॉमी कैसे बनेगी?
4 लाख 2 हजार करोड़ का ऋण मप्र से कैसे उतरेगा?

जब 21 तारीख को मोदी जी ग्वालियर में सिंधिया स्कूल आयेंगे, तब ये सवाल फिर पूछेंगे उनसे।
छात्र-छात्राओं का सुनहरा भविष्य गढ़ने का वादा जो तथाकथित मामा जी ने किया था – वो कितना खोखला है – ये मैं अब साक्ष्यों के सहारे साबित करती हूं:-
1. देश के शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के लिखिल जबाव के अनुसार, मध्यप्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों के 98, 562 पद रिक्त हैं।
2. शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा जी ने बताया कि मध्यप्रदेश के 17,085 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं।
एक शिक्षक वाले स्कूलों में देश में अव्वल नंबर होने की उपलब्धि मामा जी ने मध्यप्रदेश को दिला दी है।
3. प्रदेश के 57 प्रतिशत स्कूलों में बिजली नहीं है।
4. ‘बिंदास बोल’ एनजीओ के सर्वे के अनुसार श्विराज सिंह सरकार हर साल 8000 करोड़ रूपये आदिवासी बच्चों की शिक्षा पर खर्च करने के बावजूद 40 प्रतिशत बच्चे स्कूल नहीं जाते, शिक्षा से वंचित हैं।
5. UNESCO की No Teacher _ No Class Report ये बताती है कि स्कूल स्तर पर बच्चों को  उपलब्ध कराने में मध्यप्रदेश देश में सबसे पिछड़ा है-सबसे पीछे है।
6. मध्यप्रदेश के केवल 11 प्रतिशत स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा है – आज Techno Savvy जमाने में ये हाल है।
7. लोकसभा में 2022 में दी गयी जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में 10,630 लड़कियों ने स्कूल छोड़ा है, Dropout हुई हैं।
8. 3127 स्कूलों में बच्चों के लिए Toilet ही नहीं हैं। 2,762 गर्ल्स स्कूलों में  शौचालय इस्तेमाल करने लायक नहीं हैं।
9. 1498 स्कूलों में क्लासरूम नहीं है। 19,465 स्कूलों में अत्यधिक क्षतिग्रस्त क्लासरूम हैं। 22,361 में कम क्षतिग्रस्त हैं।
10. 1520 स्कूलों में पीने का पानी नहीं हैं।
11. 95,102 स्कूलों में विज्ञान की प्रयोगशाला नहीं है।
12. 32,541 स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है।
13. 93,166 स्कूलों में दिव्यांग लड़कों के लिए 94, 238 में दिव्यांग लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है।
14. 35,885 स्कूलों में हाथ धोने की सुविधा नहीं।
15. 72 प्रतिशत स्कूलों में मेडिकल सुविधा नहीं है।
16. मध्यप्रदेश में प्रति लाख युवा पर केवल 29 शासकीय कॉलेज हैं। तमिलनाडू में ये संख्या 40 है तो कर्नाटक में 62 है।
– ये भी गौरतलब है कि दो साल पहले शिवराज सिंह अचानक नींद से जागे और अपने ‘घोषणावीर’ अंदाज में ऐलान कर दिया कि 9500 सीएम राईज स्कूल बनायेंगे और 2 साल बीतने के बाद भी न तो इन स्कूलों की बिल्डिंग हैं, ना शिक्षक हैं, जहां हैं वहां भर्ती घोटाला है-क्योंकि मामा जी की दाल में हमेशा कुछ न कुछ काला है।
मध्यप्रदेश में शिक्षा प्रणाली और व्यवस्था की, स्कूल और कॉलेज की बदहाली का मंजर मैंने आपका दिखाया। अब सवाल ये है कि मोदी जी के पास इतनी महान डिग्री है, जो देश में किसी के पास नहीं है –
“Entive Political Science”
दार्शनिक मामा भी Philosophy में M.A. हैं
तो फिर मध्यप्रदेश के बच्चों के साथ इतनी बड़ी नाइंसाफी क्यों कर रहे हैं? कॉलेज तो छोड़िए, बच्चों को स्कूली शिक्षा के लाले क्यों पड़वा रहे हैं? शिक्षा के नाम पर मध्यप्रदेश में इतनी बड़ी धोखा धड़ी क्यों करवा रहे हैं?
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इसके ठीक विपरीत बच्चों को छात्र-छात्राओं को यानि कि देश के भविष्य को शिक्षित करने की प्रतिबद्धता कांग्रेस ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में ही दिखा दी थी, जब शिक्षा को संवैधानिक अधिकार बनाया था। Right to Education  के तहत 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को शिक्षा का अधिकार मुहैया कराया था।
1. उसी तर्ज पर कांग्रेस पार्टी और कमलनाथ जी ने ‘पढ़ो-पढ़ाओ’ योजना के तहत   KG से 12 वीं तक की गुणवत्तायुक्त शिक्षा मध्यप्रदेश के छात्र-छात्राओं को निःशुल्क प्रदान करने का वचन दिया है।
पात्र बच्चों को कक्षावार 500 रू. से 1500 रू. की सहायता उपलब्ध कराने के लिए भी हम प्रतिबद्ध हैं।
कक्षा 1 से 8 तक   – 500 रूपये
कक्षा 9 से 10 तक – 1000 रूपये
कक्षा 11 से 12 तक – 1500 रूपये
2. शिक्षा के व्यवसायीकरण को रोकने के लिए पाठ्यक्रमों में सुधार के लिए, लचर शैक्षणिक व्यवस्था की बेहतरी के लिए हम शिक्षा आयोग का गठन करेंगे।
3. छात्रवृति के भुगतान का अधिकार अधिनियम लागू करेंगे।
4. अंग्रेजी माध्यम के राज्य नवोदय विद्यालय शुरू करेंगे, जिनमें Computer Lab  की सुविधा दी।
5. गुणवत्ता के लिए Demonstration Best Learning  पद्वति अपनायेंगे और Digital क्रांति से जोड़ेंगे।
6. उच्च शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में भी हम शिक्षा को सह-रोजगार केंद्र बनायेंगे। रोजगारमूलक व्यवसायिक पाठ्यक्रम प्रारंभ किये जायेंगे।
7. मध्यप्रदेश में विदेशी विश्वविद्यालय, ट्रायबल विश्वविद्यालय, महिला विश्वविद्यालय, हार्टिकल्चर विश्वविद्यालय एवं डॉ. भीमराव अम्बेडकर राज्य विधि विश्वविद्यालय खोले जाऐंगे।
8. भाषा विज्ञान संस्थान स्थापित करेंगे और अंतर्राष्ट्रीय गांधी शांति एवं अध्ययन संस्थान स्थापित करेंगे।
9. डिजीटल क्रांति को देखते हुए प्रदेश में डिजीटल यूनिवसिटी संचालित करेंगे।
ई-लर्निंग प्लेटफार्म विकसित करेंगे। युवाओं को निःशुल्क वाई-फाई, शैक्षणिक सुविधाएं व सरलता से उच्च शिक्षा ऋण उपलब्ध करायेंगे।
10. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोटा की तर्ज पर प्रोफेशनल एजूकेशन
हब बनायेंगे।

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