Home Health नॉर्मल और वायरल फीवर में अंतर कैसे पहचाने? जानें ये तरीके

नॉर्मल और वायरल फीवर में अंतर कैसे पहचाने? जानें ये तरीके

recognize the difference between normal and viral

 

मौसम में आ रहे बदलाव के कारण खांसी, जुकाम और बुखार जैसी आम बीमारियां लोगों को होना आम बात हो गया है. जब मौसम बदलता है तो हमारा शरीर भी उससे प्रभावित होता है. ये में बीमारियों से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाता है. जिससे बैक्टीरिया और वायरस जल्दी फैलने लगते हैं. जिसकी वजह से हमें सर्दी, खांसी, बुखार और सिरदर्द होने लगता है. ऐसे में इस मौसम में लोग नॉर्मल और वायरल फीवर दोनों का शिकार हो रहे हैं.

ऐसे में दोनों के बीच फर्क करना लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है. दोनों ही फीवर बुखार और शरीर में दर्द से शुरू होता है. कई लोग समझ नहीं पाते कि उनका फीवर सामान्य है या वायरल इन्फेक्शन के कारण.नॉर्मल और वायरल फीवर में अंतर करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इन दोनों के लक्षण और उपचार अलग होते हैं. दोनों में अंतर समझना महत्वपूर्ण है ताकि सही समय पर इलाज किया जा सके. आइए जानते हैं दोनों में अंतर कैसे आसान तरीके से समझें..

जानें कितने दिन तक रहता है बुखार

नॉर्मल फीवर आमतौर पर हल्का होता है और दवाई लेने से ठीक हो जाता है. लेकिन वायरल फीवर ज्यादातर ख़तरनाक हो सकता है क्योंकि यह इन्फ्लूएंज़ा और डेंगू जैसी बीमारियों का संकेत हो सकता है. वायरल फीवर दवा लेने के बाद भी ठीक नहीं होता है लगभग 5 से 7 दिन लग जाते हैं बुखान उतरने में.

जानें कितना रहता है शरीर का टेम्प्रेचर

नॉर्मल फीवर आमतौर पर 100-102 डिग्री फारेनहाइट तक का होता है और इसका कारण बैक्टीरिया या वायरस हो सकता है. यह सामान्यत: कुछ दिनों में ठीक हो जाता है. वायरल फीवर ज़्यादा गंभीर होता है और आमतौर पर 102-104 डिग्री फारेनहाइट तक का होता है. इसका कारण वायरस होता है जैसे कि इन्फ्लूएंजा. वायरल फीवर में ठंड लगना, शरीर दर्द, सिरदर्द और थकान जैसे लक्षण होते हैं.

जानें दोनों के वायरस में फर्क

नॉर्मल फीवर का कारण आमतौर पर कोई बैक्टीरिया या वायरस हो सकता है. ये सामान्यतः हल्के संक्रमण के कारण होते हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता से लड़ सकती है. नॉर्मल फ़ीवर में सामान्य फ़्लू गले का संक्रमण, या मामूली वायरल संक्रमण होते हैं. वहीं वायरल फीवर का प्रमुख कारण गंभीर वायरल संक्रमण होता है जैसे इन्फ्लूएंजा, डेंगू, चिकनगुनिया आदि. ये वायरस शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर करके तीव्र बुखार और अन्य लक्षण पैदा करते हैं. वायरल फीवर का डॉक्टर का इलाज करवाना बहुत जरूरी है.

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