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बाजार में उठा-पटक का दौर, मतलब आ गया मल्टी एसेट फंड का समय? देखें कैसा है रिटर्न…….

period of ups and downs

 

अभी दुनिया भर के शेयर बाजार उथल-पुथल से जूझ रहे हैं. हर एसेट क्लास की तरह शेयर मार्केट के ऊपर भी साइकल का सिद्धांत लागू होता है. ऊपर से भू-राजनीतिक कारण भी अस्थिरता को हवा दे रहे हैं. ऐसे समय के लिए मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड को बेहतर समझा जाता है. यही कारण है कि इस समय भी लोग ऐसे फंड का रुख कर रहे हैं. आइए एक बार आंकड़ों की मदद से जानते हैं कि वोलेटाइल बाजार में मल्टी एसेट फंड को बेहतर विकल्प समझा जाना किस हद तक ठीक है…

इनफ्लो के उत्साहजनक आंकड़े

एएमएफआई के आंकड़े बताते हैं कि सितंबर 2023 में मल्टी एसेट एलोकेशन फंड्स से इनफ्लो 6,324 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो अगस्त के इनफ्लो से 4,707 करोड़ रुपये अधिक था. इसका कारण स्पष्ट है. मल्टी एसेट एलोकेशन फंड एक तरह के हाइब्रिड फंड होते हैं, जो इक्विटी, डेट, कमोडिटी आदि जैसे कम से कम तीन एसेट क्लास में एक साथ निवेश करते हैं. सेबी के नियमों के अनुसार, मल्टी एसेट फंड को अपने टोटल एयूएम का कम से कम 10 फीसदी हिस्सा 3 या उससे ज्याद एसेट क्लास में निवेश करना होता है.

इस उदाहरण से समझें गणित

निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड का उदाहरण देखें तो यह फंड इंडियन इक्विटीज में 50 फीसदी, ओवरसीज इक्विटीज में 20 फीसदी, कमॉडिटीज में 15 फीसदी और डेट में 15 फीसदी निवेश करता है. चार एसेट क्लास में इन्वेस्टमेंट करने का यह तरीका शुरू से अब तक नहीं बदला है. इससे निवेशकों को इस मल्टी एसेट फंड से सही लाभ मिलता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर कोई फंड हाउस एक निश्चित आवंटन रणनीति का पालन करता है, तो निवेशकों को अमूमन हमेशा लाभ होता है.

क्या कहता है सेबी का नियम

सेबी के आदेश के अनुसार, एक फंड मैनेजर डेट और कमोडिटी में से प्रत्येक में 10-10 फीसदी निवेश कर सकता है. बाकी 80 फीसदी इक्विटी में निवेश कर सकता है. इस स्थिति के हिसाब से देखें तो अगर इक्विटी बाजार में गिरावट आती है, तो निवेशकों को नुकसान होगा, क्योंकि डेट और कमोडिटी के लिए आवंटन केवल 10-10 फीसदी है.

इस कारण अभी के लिए ये फंड बेहतर

एक सच्चे मल्टी एसेट फंड में निवेश करना कई कारणों से उथल-पुथल के दौर में सही माना जाता है. अमेरिकी बॉन्ड के अच्छे यील्ड के कारण एफपीआई ने अपना एक्सपोजर कम किया है. इजरायल हमास के बीच चल रहे संघर्ष के जल्द समाप्त होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गई हैं और अगर कमॉडिटी की कीमतें बढ़ती रहती हैं, तो सोने की भी कीमतें बढ़ जाएंगी. इसलिए निवेशकों को शॉर्ट टर्म स्टेबिलिटी के साथ-साथ लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न के लिए अच्छे एसेट एलोकेशन फंड में निवेश करना चाहिए.

ऐसा रहा है साल भर में रिटर्न

रिटर्न की बात करें तो निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड ने पिछले एक साल में 19 फीसदी का रिटर्न दिया है. वहीं कुछ अन्य टॉप मल्टी एसेट फंड के रिटर्न को देखें तो पिछले एक साल में एसबीआई, टाटा और एचडीएफसी के मल्टी एसेट फंड ने क्रमश: 18.53 फीसदी, 18.18 फीसदी और 16.23 फीसदी का रिटर्न दिया है.

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