हल्दी सिर्फ एक लोकप्रिय मसाला ही नहीं है, बल्कि सदियों से इसे एक औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। आयुर्वेद में हल्दी के गुणों के बारे में विस्तार से जिक्र मिलता है। सर्दियों में मौसम में जहां हल्दी का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, वहीं यह सूजन दूर करने और घाव भरने में भी काम आती है। हालांकि सर्दियों में भी कुछ लोगों को हल्दी का सेवन करते समय बरतनी चाहिए। इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं इंदौर स्थिति अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज के डॉक्टर अखिलेश भार्गव।
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं
हल्दी एक बेहतरीन इम्यूनिटी बूस्टर होता है। भोजन में हल्दी का सेवन करना गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षित होता है। लेकिन इस बात की सावधानी रखना चाहिए कि हल्दी का ज्यादा सेवन करने से मासिक धर्म प्रभावित हो सकता है। यह गर्भाशय को उत्तेजित करता है। गर्भावस्था भी खतरे में पड़ सकती है।
एनीमिया के रोगी
जब शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है तो इसे एनीमिया कहा जाता है। एनीमिया के रोगियों में खून की कमी आयरन की कमी के कारण होती है। यदि एनीमिया के रोगी ज्यादा हल्दी का सेवन करते हैं को खून में आयरन का अवशोषण प्रभावित हो सकता है। एनीमिया के रोगियों को भी ज्यादा हल्दी नहीं खानी चाहिए।
डायबिटीज के मरीज
डायबिटीज के मरीजों को अपने खानपान पर बहुत ध्यान देना चाहिए। हल्दी में करक्यूमिन होता हैं, जो शरीर में ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है। लेकिन लो ब्लड शुगर होने की स्थिति में ज्यादा हल्दी का सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है।
गुर्दे की पथरी
गुर्दे की पथरी के मरीजों को भी हल्दी का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। हल्दी में ऑक्सालेट उच्च मात्रा में होता है, जो कैल्शियम के साथ मिलकर गुर्दे की पथरी का कारण बन सकता है। किडनी स्टोन की समस्या बढ़ सकती है।