Home Entertainment विलेन ऑफ़ दा मिलेनियम “प्राण साहब”

विलेन ऑफ़ दा मिलेनियम “प्राण साहब”

  • अभिनेता प्राण साहेब को ‘विलेन ऑफ़ दा मिलेनियम’ कहा जाता है उनका पूरा नाम ‘प्राण किशन सिकंद अहुवलिया’ था …….दिल्ली के बल्लीमारन में जन्मे प्राण ने 1940 से 1947 तक नायक के रूप में फ़िल्मों में अभिनय किया इसके अलावा खलनायक की भूमिका में अभिनय 1942 से 1991 तक जारी रखा….. हीरो के रोल में असफल रहने के बाद विलेन के रूप में अभिनय पारी उनका सुनहरा दौर था जिसने उन्हें एक नई पहचान दी ….प्राण साहब शुरू से ही अपने अपने हर किरदार के साथ प्रयोग करते रहते थे हर फिल्म में उनका एक नया गेटअप होता था जिसे वो रिपीट नहीं करते थे हिंदी फिल्मो से सबसे ज्यादा गेटअप वाले पात्र रचने का रिकार्ड प्राण साहेब के नाम है

प्राण साहेब अमिताभ बच्चन के साथ साल 1973 की ‘जंजीर’ फ़िल्म में काम कर चुके थे इस फिल्म में प्राण और अमिताभ दोनों को एक नया जीवन दिया ….इसके अगले ही वर्ष 1974 में इस जोड़ी की एक और फिल्म आई ‘मजबूर ‘ ……ये एक थ्रिलर क्राइम स्टोरी थी जिसे रवि टंडन द्वारा निर्देशित किया गया और पटकथा सलीम-जावेद द्वारा लिखी गई……. फिल्म में अमिताभ बच्चन,परवीन बॉबी, प्राण, मदन पुरी, रहमान और फरीदा जलाल ,सत्यन कप्पू ,मदनपुरी मुख्य भूमिका में थे..

𝐌𝐚𝐣𝐛𝐨𝐨𝐫 – (𝟏𝟗𝟕𝟒) में प्राण साहेब ने ‘माइकल डिसूजा’ नाम के एक चोर का किरदार निभाया था फ़िल्म ‘मजबूर’ के मायकल के साथ भी उन्होंने कुछ नया प्रयोग किया था इस फ़िल्म में उन्होंने अपने चेहरे को थोड़ा काला बनाया था इस फ़िल्म में ‘माइकल’ के किरदार की एक खासियत ये थी कि वो किसी को दूर से आते हुए देखने के लिए अपने दोनों हाथों से दूरबीन बनाकर उनका इस्तेमाल करता है ….

ये आईडिया प्राण साहब को इसी फिल्म के सेट पर से ही मिला था दरअसल फ़िल्म के निर्देशक ‘रवि टंडन” इस फ़िल्म के किसी सीन को फिल्माने से पहले अपने दोनों हाथों को अपनी आंखों पर दूरबीन की तरह रखकर उनका इस्तेमाल करते थे..उन्हें ऐसा करता देख प्राण साहब को ये आईडिया अच्छा लगा और उन्होंने हूबहू निर्देशक रवि टंडन’ की यह नकल ‘मजबूर’ के ‘माइकल’ किरदार में ढाल दी.. और उनका ये आईडिया कमाल कर गया..

अमिताभ उन दिनों ‘जंजीर’ की सफलता का स्वाद चख रहे थे जबकि प्राण साहेब का हिंदी फिल्मो में डंका बजता था फिल्म ‘मजबूर’ में इन दोनों का एक फाइट सीन भी रखा गया था…..”दारू की बोतल में काहे पानी भरता है फिर मत कहना माइकल पी के दंगा करता है ” गाना सिर्फ प्राण साहेब के लिए फिल्म में रखा गया था ……लेकिन प्राण साहेब का हाथो को दूरबीन बनाकर देखने वाले स्टाइल को दर्शको ने हाथो हाथ लिया और प्राण साहेब की यह नई अदा भी हिट हो गई

प्राण साहेब के इस आईडिया से निर्देशक ”रवि टंडन’ भी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी अगली फिल्म ‘चोर हो तो ऐसा’ (1978 ) में भी प्राण साहेब को साइन कर लिया …….आपको बता दे की रवि टंडन 90 के दशक की मशहूर अभिनेत्री रवीना टंडन के पिता है …..

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