पांच माह की योगनिद्रा के बाद श्रीहरि गुुरुवार को कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी पर जागेंगे। इसके साथ ही मांगलिक आयोजन का शुरुआत होगी। घर के द्वार पर शहनाई की मंगल ध्वनियां सुनाई देने लगेगी और बारातें निकलेंगी। वर्ष 2023 के अंतिम दो माह में विवाह के लिए 14 मुहूर्त पंचांगों में दिए गए हैं। इसमें नवंबर में पांच और दिसंबर में 9 दिन शादियां होगी।
तुलसी-शालिग्राम विवाह के आयोजन होंगे
देवउठनी एकादशी पर चातुर्मास का समापन होगा। इस अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में विष्णु और कृष्ण मंदिर में थाली, शंख और घंटे-घडियाल बजाकर भगवान को जगाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और तुलसी के पौधे का पूजन किया जाता है। साथ ही तुलसी और शालिग्राम विवाह के आयोजन भी होते हैं। पूजा का श्रेष्ठ समय सुबह 6.50 से 8.09 बजे और शाम को 5.25 से रात 8.46 बजे तक है।