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अडानी समूह की इस पॉपुलर बिजनेस से निकलने की तैयारी, हिस्सेदारी खरीदने पर ITC की नजर

Adani Group preparing

अडानी ग्रुप को लेकर बड़ी खबर आई है. अडानी ग्रुप अपनी जेवी कंपनी अडानी विल्मर में पूरी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रहा है. अडानी विल्मर फार्च्यून ब्रांड के नाम से खाद्य तेल (एडिबल ऑयल) और दूसरे फूड प्रोडक्ट्स बेचती है. अडानी विल्मर एक जॉइंट वेंचर कंपनी है जिसमें अडानी ग्रुप और सिंगापुर का विल्मर इंटरनेशनल हिस्सेदार हैं. दोनों कंपनियां इसमें 43.97 फीसदी हिस्सेदारी रखती हैं.

आईटीसी खरीदेगी अडानी विल्मर का हिस्सा !

फाइनेंशियल एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक देश की एफएमसीजी दिग्गज आईटीसी अब अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी विल्मर में इसकी हिस्सेदारी को खरीद सकती है. हालांकि विल्मर जेवी में हिस्सा बेचने के बारे में भेजे गए मेल का अडानी की ओर से कोई जवाब नहीं आया. वहीं आईटीसी के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी बाजार की अटकलों पर टिप्पणी नहीं करती है.

आईटीसी करेगी एडिबल ऑयल बिजनेस में रीएंट्री

ऐसी चर्चा बढ़ रही है कि कोलकाता की कंपनी आईटीसी एडिबल ऑयल बिजनेस में दोबारा एंट्री का प्लान बना रही है. जानकारी रखने वाले सूत्रों के मुताबिक सिगरेट से लेकर एफएमसीजी बिजनेस की दिग्गज कंपनी आईटीसी की अडानी विल्मर में 44 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के प्लान की यही वजह है. ब्रांडेड प्रोडक्ट्स में अडानी विल्मर की बढ़ती उपस्थिति इसका एक कारण हो सकता है आईटीसी इस पर विचार कर रही है.

आईटीसी करना चाहती है फूड बिजनेस का एक्सपेंशन

सनफीस्ट बिस्कुट, आशीर्वाद आटा और यिप्पी नूडल्स की प्रोड्यूसर कंपनी अपने फूड बिजनेस का विस्तार करना चाह रही है. वित्त वर्ष 23 के लिए आईटीसी के 19,123 करोड़ रुपये के कुल एफएमसीजी रेवेन्यू में फूड बिजनेस लगभग 83-84 फीसदी का हिस्सा रखता है. सेक्टर के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्रांडेड कमोडिटी जैसे एरिया में पिछले कुछ सालों में अनब्रांडेड से ब्रांडेड की ओर बदलाव तेजी से हुआ है. इसके जरिए नेशनल और लोकल प्लेयर्स को अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है.

20 साल पहले आईटीसी ने बेचा था एडिबल ऑयल कारोबार

हालांकि आईटीसी ने दो दशक (20 साल) पहले एडिबल ऑयल कारोबार से बाहर निकल गई थी. कंपनी ने आईटीसी एग्रो टेक में अपना कंट्रोलिंग स्टेक तत्कालीन फूड बिजनेस पार्टनर कंपनी कॉनग्रा फूड्स को बेच दिया था. सूत्रों ने बताया है कि आईटीसी ने इस कारोबार में दोबारा वापसी के विचार को बंद नहीं किया था. लिहाजा आईटीसी की एडिबल ऑयल बिजनेस में वापसी हो सकती है, बशर्ते उसे एक मजबूत ब्रांड और प्रोसेसिंग प्लांट मिल जाएं. अमेरिका की कॉनग्रा फूड्स को अब कॉनग्रा ब्रांड्स कहा जाता है.

हिस्सा बेचने के लिए अडानी ग्रुप की कई कंपनियों से चर्चा

कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अहमदाबाद स्थित अडानी ग्रुप की कुछ और इंवेस्टर्स से भी बातचीत चल रही है. विल्मर में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए अडानी समूह कुछ मल्टीनेशनल कंज्यूमर कंपनियों के साथ-साथ जीक्यूजी पार्टनर्स और कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (क्यूआईए) जैसे फाइनेंशियल इंवेस्टर्स जैसे कई प्लेयर्स से बात कर रहा है. अडानी और विल्मर के इस जॉइंट वेंचर में लगभग 2.5-3 बिलियन डॉलर मूल्य (20,000-24,000 करोड़ रुपये) की हिस्सेदारी बेचने के लिए अडानी ग्रुप की तलाश जारी है. अडानी ग्रुप एनर्जी और इंफ्रास्ट्रक्चर बिजनेस पर फोकस करने के लिए इस फूड बिजनेस जेवी से बाहर निकलना चाहता है या अडानी समूह बिजनेस को कंसोलिडेट करने पर फोकस कर रहा है- ऐसी खबरें हैं.

देश की बड़ी फूड बिजनेस कंपनियों में अडानी विल्मर का नाम

वित्त वर्ष 2023 में 58,185 करोड़ रुपये और 582 करोड़ रुपये की इनकम के साथ अडानी विल्मर जेवी देश के टॉप के रिफाइनरों में से एक रहा है. ये एडिबल ऑयल और फूड प्रोडक्ट्स के फॉर्च्यून ब्रांड के लिए सबसे पॉपुलर है. इसकी वेबसाइट के मुताबिक कंपनी 113 मिलियन (11.3 करोड़) से ज्यादा घरों तक पहुंचती है, इसके 23 मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट और 5,700 डिस्ट्रीब्यूटर्स हैं.

भारत में एडिबल ऑयल बिजनेस की कई लोकल कंपनियां मौजूद

भारत के एडिबल ऑयल बाजार में कुछ लोकल खिलाड़ियों में एग्रो टेक फूड्स शामिल हैं, जो सनड्रॉप ब्रांड नाम से एडिबल ऑयल बनाती है, कारगिल इंडिया जो नेचरफ्रेश, स्वीकार और जेमिनी रिफाइंड ऑयल बनाता है. वहीं बंज इंडिया जो डालडा वनस्पति और खाना पकाने का तेल बनाता है. इनके अलावा और ब्रांड भी शामिल हैं जिनमें इमामी एग्रोटेक (स्वस्थ और स्वादिष्ट), मैरिको (सफोला) और पतंजलि फूड्स के नाम प्रमुख हैं.

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