हिंदू धर्म में मान्यता है कि अन्नपूर्णा मां की पूजा करने से घर में सुख शांति का वास होता है। वह आशीर्वाद देती हैं तो घर में धन-धान्य की कभी भी कमी नहीं रहती है। घर में हमेशा अन्न के भंडार भरे रहते हैं। हर साल हिंदू धर्म में मां अन्नपूर्णा पर समर्पित एक व्रत भी है। व्रत का नाम अन्नपूर्णा व्रत है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने विस्तार से व्रत के बारे में बताया है कि यह कितना लाभकारी है। इस व्रत को करने से कुछ ही दिनों में लाभ प्राप्त हो जाता है।
मां अन्नपूर्णा का व्रत मार्गशीष माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर पड़ता है। यह इस साल 2 दिसंबर (शनिवार) को होगा। मां अन्नपूर्णा के व्रत का समापन 17 दिनों के बाद 18 दिसंबर, दिन सोमवार को होगा।
क्या है मां अन्नपूर्णा व्रत 2023 का महत्व?
मां अन्नपूर्णा के व्रत के दौरान काशी में स्थित माता अन्नपूर्णा देवी के मंदिर में भक्तों का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है। व्रत के पहले दिन भक्त मां अन्नपूर्णा के दर्शन करते हैं। उसके बाद मंदिर में 17 गांठ के धागे को बाजू पर बांध लेते हैं। यह उनके आशीर्वाद के रूप में लिया जाता है। अगर कोई भक्त मां अन्नपूर्णा के मंदिर में जाकर दर्शन नहीं कर पाता है, वह घर पर उनके फोटो के सामने पूजा कर सकते हैं। उसके बाद 17 गांठ वाला धागा बांध सकते हैं। इस व्रत का संकल्प 17 साल, 17 महीने या 17 दिनों तक का ले सकते हैं।