राजस्थान में भी नए सीएम को लेकर संस्पेस मंगलवार (12 दिसंबर) को खत्म हो गया. बीजेपी विधायक दल का नेता भजनलाल शर्मा को चुना गया है. इसी के साथ बीजेपी ने एक बार फिर चौंकाते हुए नए चेहरे को मौका दिया है.
बीजेपी ने इसी के साथ तीन हिंदी भाषी राज्यों छत्तीसगढ़, राजस्थान, और मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल कर सीएम चुन लिया है. विष्णुदेव साय बुधवार 13 दिसम्बर को रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. वहीं मध्य प्रदेश के मनोनीत मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार (11 दिसंबर) को कहा कि नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 13 दिसंबर को होगा.
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी ने चौंकाते हुए तीनों राज्यों में नए चेहरे को चुना. ऐसा इसलिए क्योंकि राजनीतिक गलियारों में मध्य प्रदेश के सबसे ज्यादा लंबे समय तक सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान और पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित कई नेताओं का नाम चल रहा था, लेकिन बीजेपी ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज से आने वाले मोहन यादव को चुना. वहीं छत्तीसगढ़ में पार्टी ने आदिवासी नेता विष्णुदेव साय पर दांव लगाया. यहां पर पूर्व सीएम रमन सिंह और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का नाम चल रहा था.
इसके अलावा राजस्थान की बात करें तो यहां सीएम पद की रेस में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला सहित कई नेताओं का नाम था. माना जा रहा है कि बीजेपी ने चौंकाने वाले फैसले अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए लिए हैं.
विष्णुदेव साय कौन हैं?
सरगुजा क्षेत्र के जशपुर जिले से नवनिर्वाचित आदिवासी विधायक विष्णुदेव साय आदिवासी बहुल जशपुर जिले के एक छोटे से गांव बगिया में रहने वाले एक किसान परिवार से हैं. उन्होंने कुनकुरी के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की और स्नातक के लिए अंबिकापुर चले गए लेकिन पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और 1988 में अपने गांव लौट आए. 1989 में उन्हें बगिया ग्राम पंचायत के ‘पंच’ के रूप में चुना गया और अगले वर्ष निर्विरोध सरपंच बने.
साय अविभाजित मध्य प्रदेश में तपकरा (जशपुर जिले में) से भाजपा के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गए थे. 1993 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने यह सीट बरकरार रखी. साय ने 1998 में निकटवर्ती पत्थलगांव सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन असफल रहे. बाद में, वह लगातार चार बार – 1999, 2004, 2009 और 2014 में रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए. साल 2000 में राज्य निर्माण के बाद बीजेपी ने साय को 2003 और 2008 के विधानसभा चुनावों में छत्तीसगढ़ के पत्थलगांव से मैदान में उतारा था लेकिन वह दोनों बार हार गए.
मोहन यादव के बारे में जानें
उज्जैन दक्षिण से तीन बार विधायक मोहन यादव और एक प्रमुख ओबीसी नेता हैं. मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी 48 प्रतिशत से अधिक है. वह पहली बार 2020 में मंत्री बने जब कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी.
यादव का जन्म 25 मार्च, 1965 को उज्जैन में हुआ था. उन्होंने 1982 में माधव साइंस कॉलेज उज्जैन के संयुक्त सचिव के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और 1984 में इसके अध्यक्ष के रूप में चुने गए. यादव ने एलएलबी और एमबीए की डिग्री के अलावा डॉक्टरेट (पीएचडी) की डिग्री भी हासिल की.
बीजेपी ने कहां कितनी सीटें जीती?
दरअसल, बीजेपी ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया था. वहीं मध्य प्रदेश में सत्ता बरकरार रखी थी. हिंदी भाषी राज्य राजस्थान 200 में से 199 सीट के लिए हुए चुनाव बीजेपी को 115 सीट पर जीत के साथ बहुमत मिला है. वहीं कांग्रेस यहां सत्ता से बाहर हो गई और वो 69 सीटों पर सिमट गई. साथ ही भारतीय आदिवासी पार्टी के पास 3 सीटें तो बहजुन समाज पार्टी के खाते में 2 सीटें गई है. इसके अलावा राष्ट्रीय लोकदल पार्टी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की है.
मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां 17 नवंबर को हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 230 ,सीटों में 163 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस 66 सीट के साथ दूसरे स्थान पर रही. साथ ही छत्तीसगढ़ में 90 सीटों में से बीजेपी ने 54 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया है. वहीं कांग्रेस 35 सीटों पर सिमट गई. इसके अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी एक सीट जीतने में कामयाब रही.