Home Business News Crude Oil Import: भारत के प्रयासों को नहीं मिली सफलता, रुपये में...

Crude Oil Import: भारत के प्रयासों को नहीं मिली सफलता, रुपये में नहीं हो पा रहा कच्चे तेल के आयात का पेमेंट

crude oil import is not

 

Crude Oil Import: कच्चे तेल के आयात का भुगतान रुपये में करने के भारत के प्रयासों को खास सफलता नहीं मिल पा रही है. कच्चे तेल के आयातक विभिन्न कारणों का हवाला देकर आयात के बदले भारतीय करेंसी में पेमेंट लेने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं. सरकार ने खुद यह बात संसद में स्वीकार की है.

पिछले वित्त वर्ष में हासिल शून्य

न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, तेल मंत्रालय ने संसद की स्थाई समिति को इस बारे में जानकारियां दी है. उसमें कहा गया है कि आयातक फंड के सीमा पार प्रवाह और ट्रांजेक्शन की लागत से जुड़ी चिंताओं के चलते भारतीय रुपये में कच्चे तेल के आयात का पेमेंट नहीं लेना चाह रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान सरकारी तेल कंपनियों का कच्चे तेल के आयात का कोई भी भुगतान रुपये में सेटल नहीं हुआ.

इतना कच्चा तेल आयात करता है भारत

आम तौर पर दुनिया भर में कच्चे तेल के व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल डिफॉल्ट करेंसी के रूप में किया जाता है. भारत भी लंबे समय से कच्चे तेल के आयात का पेमेंट अमेरिकी डॉलर में करता आया है. चूंकि भारत को अपनी जरूरत का अधिकांश कच्चा तेल (करीब 85 फीसदी) अन्य देशों से आयात करना पड़ता है, कच्चे तेल के आयात का बिल विदेशी मुद्रा भंडार पर बड़ा असर डालता है. यही कारण है कि सरकार कच्चे तेल के आयात का पेमेंट रुपये में सेटल करने की दिशा में प्रयास कर रही थी.

तेल के मामले में नहीं मिली सफलता

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस दिशा में जुलाई 2022 में पहल की थी, जब उसने आयातकों को रुपये में भुगतान करने और निर्यातकों को रुपये में भुगतान लेने की मंजूरी दी थी. यह भारत सरकार के द्वारा भारतीय करेंसी के इंटरनेशनलाइजेशन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा था. इस दिशा में तेल से इतर अन्य व्यापार को रुपये में सेटल करने में तो सफलता मिली, लेकिन तेल के मामले में सफलता नहीं मिल पाई.

मंत्रालय ने समिति को बताई ये बात

रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने समिति को बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 के द्वारा सरकारी तेल कंपनियों के द्वारा कच्चे तेल का आयात को भारतीय रुपये में सेटल नहीं किया गया. संयुक्त अरब अमीरात की एडीएनओसी समेत कच्चा तेल के सप्लायर इस बात को लेकर चिंता जता रहे हैं कि भारतीय रुपये में पेमेंट लेने के बाद उन्हें अपनी पसंदीदा करेंसी में फंड को कनवर्ट कराने में दिक्कतें आ सकती हैं. इसके अलावा उन्हें करेंसी की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव के कारण ट्रांजेक्शन की लागत बढ़ने का डर भी सता रहा है.

Exit mobile version