रोशन नेमा, भोपाल
एमपी में नए मुख्यमंत्री के निर्णयों की चर्चा चारों तरफ होने लगी है। वही एक खेमा नए मुख्यमंत्री की कार्यपद्धति को पुराने मुख्यमंत्री से तुलना कर रहा है।
प्रदेश में नई सरकार को अभी एक माह भी पूरा नहीं हुआ है. कुछ ऐसे निर्णय हुए है जो मुख्यमंत्री की कड़क और त्वरित कार्यवाही वाले व्यक्तित्व वाली छवि उभर रहे है।
गुना बस हादसे में कलेक्टर, एसपी से लेकर आरटीओ तक सभी अधिकारियों को हटाने का निर्णय 24 घंटे के भीतर हो जाना मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की प्रशासन पर कसावट और लापरवाह अधिकारियों को जिम्मेदारी का अहसास करती प्रतीत हुई।
2024 के शुरुआत के दूसरे दिन ही ड्राइवर को उसकी औकात दिखाने पर कलेक्टर को हटाकर नए मुख्यमंत्री ने सरकारी अमले को अपने मजबूत इरादे जता दिए हैं।
डॉ मोहन यादव ने स्पष्ट कर दिया है जनता के साथ संवेदनशीलता के विरुद्ध कोई भी व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कार्यभार संभालते ही पहला आदेश जारी किया था। आदेश में धार्मिक स्थलों सहित अन्य स्थानों में ध्वनि प्रदूषण को रोकने लाउडस्पीकर की आवाज नियंत्रित करने संबंधी निर्देश थे। इसके साथ ही खुले में मांस की बिक्री को रोकने के लिए भी आदेश जारी किया था। जिसका व्यापक प्रभाव प्रदेश में देखने को मिला है।
वही राजधानी में अपराधिक तत्वों को कंट्रोल करने शहर की सभी दुकानों को रात 11 बजे बंद करने का निर्णय और चुनावी रंजिश में एक युवक का हाथ काटने वाले अपराधियों के घर बुलडोजर चलाने जैसे प्रशासनिक निर्णय जनता के बीच मुख्यमंत्री की जन मन को भाने वाले मोहन भईया की छवि बना रहे है।