वे मुस्काते फूल, नहीं जिनको आता है मुरझाना, वे तारों के दीप, नहीं जिनको भाता है बुझ जाना!
हिन्दी कविता के छायावादी युग के प्रमुख स्तंभों में से एक, प्रख्यात कवयित्री महादेवी वर्मा जी की पुण्यतिथि पर सादर नमन। भारतीय साहित्य को समृद्ध बनाने में दिया गया आपका योगदान अतुलनीय है ।