हिंदू धर्म में पितरों की मुक्ति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए पितृपक्ष को उत्तम माना गया है। माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध और पिंडदान से पितृ प्रसन्न होते हैं। साथ ही उन्हें इस पूजन कार्य से मुक्ति भी मिलती है। माना जाता है कि जब तक इंसान पितृ ऋण से मुक्त नहीं हो जाता है तब तक उसे ईश्वर की कृपा प्राप्त नहीं होती है। इसलिए अक्सर लोग पितृ पक्ष आने पर अपने घर के दिवंगत लोगों के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि करते हैं। लेकिन यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश अपने पितरों का विधि विधान से श्राद्ध न कर पाएं तो उसे उनकी नाराजगी का डर सताने लगता है। जब परंपरागत तरीके से पितरों का श्राद्ध न कर पाएं तो उन्हें मनाने और प्रसन्न करने के लिए कुछ खास उपाय करने चाहिए।
ब्राह्मण को भोजन कराएं
यदि आप किसी कारणवश पितृपक्ष के दौरान तिथि विशेष पर अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण या फिर पिंडदान नहीं कर पा रहे हैं तो आपको परेशान होने की जरुरत नहीं है। पितृपक्ष के अंत में पड़ने वाली सर्व पितृ अमावस्या के दिन किसी योग्य ब्राह्मण को आदरपूर्वक अपने घर पर बुलाकर भोजन कराएं। भोजन के बाद ब्राह्मण को अपनी क्षमता के अनुसार जो संभव हो वो दान करें। ऐसा करते समय भूलकर भी किए जाने वाले दान का अपमान न करें।