जिंदा हो तो जिंदा दिखना चाहिए ,,, क्या तो फिर दोहराई जायेगी 2020 की कहानी,, किंग मेकर कमलनाथ सीधे राज्यसभा जायेंगे या भाजपा मार्ग से, सवाल तो चर्चा में बने हुए है।
मध्य प्रदेश में राज्यसभा की पांच सीटों के लिए 15 फरवरी को नामांकन पर्चे भरने की अंतिम तारीख है लेकिन अब तक न तो भाजपा और न ही कांग्रेस ने अपने अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा की है। पांच से ज्यादा प्रत्याशियों के नामांकन पर्चे भरे जाने की स्थिति में चुनाव कशमकश भरा हो सकता है लेकिन क्रास वोटिंग पर सबकी नजरें होंगी। मगर इसके पहले प्रत्याशी चयन को लेकर भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे की ओर देख रहे हैं क्योंकि कांग्रेस में एक सीट के लिए तीन दावेदार हैं व सोनिया गांधी को मध्य प्रदेश से राज्यसभा सीट पर जाने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को प्रस्ताव भेजे जाने से घमासान मच गया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ राज्यसभा सीट के लिए दावेदारी किए हुए हैं और यही वजह मानी जा रही है कि उनका रास्ता रोकने के लिए सोनिया गांधी के एमपी से राज्यसभा चुनाव में उतारे जाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
राज्यसभा चुनाव के पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पार्टी के सभी विधायकों और पूर्व विधायकों को 13 फरवरी को डिनर पर आमंत्रित किया है। जिसके लिए आमंत्रण पत्र भी भेज दिए गए हैं। कमलनाथ के इस भोज को राज्यसभा चुनाव से पहले की राजनीति की रणनीति माना जा रहा है जिसमें चुनाव के नामांकन पर्चे में प्रस्तावक विधायकों के हस्ताक्षर भी करवाये जा सकते है।
गौरतलब है कि इसी तरह की स्थितियां 2020 में राज्यसभा चुनाव के समय भी बनी थीं जब ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजे जाने से रोकने के लिए तब कमलनाथ-दिग्विजय सिंह ने सिंधिया का नाम दूसरे क्रम पर करने की रणनीति बनाई थी। तब बनी परिस्थितियों से बचते हुए सिंधिया ने भाजपा का दामन थाम लिया था और भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजकर उनको सहारा दिया था। आज वही परिस्थितियां कमलनाथ के सामने बनती नजर आ रही हैं और तब सिंधिया ने भी अपने भाजपा में जाने की चर्चाओं का कई बार खंडन किया था।