Dermatomyositis: बीते दिन एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से सामने आई एक दुख भरी खबर ने हर किसी को हैरान कर दिया। दंगल फिल्म एक्ट्रेस सुहानी भटनागर का 19 साल की उम्र में निधन हो गया। एक्ट्रेस की मौत का कारण दवाइयों का साइड इफेक्ट बताया जा रहा था। इतनी कम उम्र में सुहानी दुनिया को अलविदा कह गईं। इस खबर पर कोई भी यकीन नहीं कर पा रहा है। दरअसल, सुहानी भटनागर डर्मेटोमायोसिटिस नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थीं।
11 दिनों के बाद समझ आई बीमारी
दो महीने पहले उनके पिता ने मीडिया को यह जानकारी दी थी कि एक्ट्रेस के हाथों में सूजन आने लगी थी। यह सूजन धीरे-धीरे उनके शरीर में फैल गई। लंबे समय तक उनकी ये बीमारी अज्ञात रही। 11 दिनों के बाद सुहानी भटनागर को एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां कुछ टेस्ट किए गए, जिसके बाद पता चला कि सुहानी को दुर्लभ ऑटोइम्यून बीमारी है। जब एक्ट्रेस का इलाज शुरू हुआ, तो उन्होंने स्टेराॅयड्स खाए, जिसके कारण उनकी इम्यूनिटी कमजोर हो गई। उन्हें इन्फेक्शन हो गया, जिससे उनके फेफड़ों पर असर हुआ। फेफड़ों के कमजोर होने के कारण उनकी मौत हो गई।
डर्मेटोमायोसिटिस क्या है?
डर्मेटोमायोसिटिस एक दुर्लभ बीमारी है। इसमें शरीर पर सूजन आ जाती है। यह मांसपेशियों और त्वचा दोनों को प्रभावित करती है। साथ ही मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है और त्वचा पर लाल चकत्ते होने लगते हैं। यह बीमारी बहुत कम लोगों में होती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, डर्मेटोमायोसिटिस बीमारी किस वजह से होती है, इसका कारण अभी अज्ञात है। यह बीमारी ऑटोइम्यून डिसऑर्डर की तरह ही होती है। इसमें आपका इम्यून सिस्टम आपके बॉडी टिश्यू पर अटैक करने लगता है।
अनुवांशिक, कोई संक्रमण या किसी तत्व के संपर्क में आने से डर्मेटोमायोसिटिस विकसित होने लगता है। इस बीमारी को उत्पन्न करने के लिए कुछ अनुवांशिक और कुछ पर्यावरणीय कारक जिम्मेदार होते हैं।
डर्मेटोमायोसिटिस के लक्षण क्या हैं?
कई तरह के लक्षणों के साथ डर्मेटोमायोसिटिस बीमारी का पता चलता है। इसमें मांसपेशियां कमजोर होना, त्वचा पर लाल चकत्ते होना, जोड़ों में दर्द, निगलने में कठिनाई आना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। हालांकि, मांसपेशियों का कमजोर होना और त्वचा संबंधी समस्या आना कई बीमारियों के लक्षण होते हैं, इस कारण इस बीमारी का पता लगा पाना मुश्किल होता है।
डर्मेटोमायोसिटिस का उपचार
डर्मेटोमायोसिटिस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, हालांकि इसके लक्षणों को देखते हुए तरह-तरह का इलाज लेने से राहत मिल सकती है।
डाॅक्टर्स की सलाह के अनुसार, इस बीमारी के इलाज में इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं, फिजिकल थेरेपी दी जाती है। गंभीर मामलों में इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) थेरेपी दी जाती है।