भद्रा के 12 नाम
धन्या, दधिमुखी, भद्रा, महामारी, खरानना, कालरात्रि, महारुद्रा, विष्टि, कुलपुत्रिका, भैरवी, महाकाली तथा असुरक्षयकरी
होलिका दहन मुहूर्त कब से शुरू
भद्रा की समाप्ति के बाद 24 मार्च को मध्य रात्रि 11:13 से मध्य रात्रि 12:33 तक होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है. ऐसे में होलिका दहन के लिए केवल 1 घंटा 20 मिनट मिलेगा, जोकि शुभ समय है.
कैसे जानें भद्रा काल कब ?
शुक्लपक्ष में: अष्टमी और पूर्णिमा तिथि के पूर्वार्द्घ में और एकादशी तिथि के उत्तरार्द्ध में विष्टि करण यानी भद्रा होती है.
कृष्णपक्ष में: तृतीया और दशमी तिथि के उत्तरार्द्ध में और सप्तमी व चतुर्दशी के पूर्वार्द्घ में भद्रा होती है. तिथि के सम्पूर्ण भोगकाल का पहला आधा हिस्सा पूर्वार्द्घ और अंतिम आधा हिस्सा उत्तरार्द्ध होता है.
भद्रा के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जपे ये नाम
धन्या दधमुखी भद्रा महामारी खरानना।
कालारात्रिर्महारुद्रा विष्टिश्च कुल पुत्रिका।
भैरवी च महाकाली असुराणां
क्षयन्करी।
द्वादश्चैव तु नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्।
न च व्याधिर्भवैत तस्य रोगी रोगात्प्रमुच्यते।
गृह्यः सर्वेनुकूला: स्यर्नु च विघ्रादि जायते।
भद्रा के दोष क्या है
जब भद्रा मुख में हो तो किए गए कार्य का नाश होता है.
जब भद्रा कंठ में हो तो धन का नाश होता है.
भद्रा हृदय में होते प्राण का नाश होता है.
वहीं जब भद्रा पुच्छ में हो तो विजय प्राप्ति और कार्य सिद्ध होते हैं.
जरूरी काम हो तो त्याग दें भद्रा की 5 घटी
हिंदू धर्म में भद्रा को शुभ-मांगलिक काम के लिए अशुभ माना जाता है. लेकिन बहुत जरूरी काम हो तो कम से कम भद्रा की 5 घटी त्याग देनी चाहिए. क्योंकि भद्रा की 5 घटी मुख में होती है. इसके अलावा भद्रा की 2 घटी कंठ में, 11 घटी हृदय में और 4 घटी पुच्छ में होती है. भद्रा मुख में होना बहुत अशुभ होता है. होलिका दहन के दिन भद्रा मुख रात 07:53 से रात 10:06 तक रहेगा.
क्या भद्रा काल में होलिका दहन कर सकते हैं?
वैसे तो भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन करना अच्छा होता है. लेकिन किसी कारणवश या विशेष परिस्थितियों में भद्रा पुच्छ में भी होलिका दहन किया जा सकता है. क्योंकि जब भद्रा पुच्छ में हो तो, विजय प्राप्ति और कार्य सिद्ध होते हैं. आज भद्रा पूच्छ शाम 06:33 से रात्रि 07:53 तक रहेगा.
होलिका दहन भद्रा का समय
होलिका दहन में आज 24 मार्च को सुबह 09:55 में भद्रा लगी है और मध्यरात्रि 11:13 पर समाप्त होगी.
होलिका दहन पर न करें ये काम
मान्यता है कि होलिका दहन के दिन किसी को उधार नहीं देना चाहिए. माना जाता है कि आज के दिन उधार देने से आपको भविष्य में आर्थिक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
होलिका दहन पर करें दरिद्रता दूर करने के उपाय
आज होलिका दहन की रात में पूर्व दिशा की ओर मुंह करके, आसन लगाकर, सात कौड़ियां व एक छोटे शंख को मसूर की दाल की ढेरी पर स्थापित कर लें. इसके बाद मूंगे की माला से ऊँ गं गणपतये नमः. मंत्र का 5 माला जाप करें. मंत्र-जप संपन्न होने पर सभी सामग्री को किसी निर्जन स्थान पर गड्ढा खोदकर दबा दें. इससे आर्थिक तंगी दूर होती है.
नौकरी में प्रमोशन के उपाय
होलिका दहन के दिन कुछ उपाय करने से नौकरी में प्रमोशन के योग बनते हैं. इसके लिए होलिका दहन के समय 8 नींबू लेकर उसे अपने ऊपर से 21 बार उतारें. इसके बाद इसे जलती होलिका में चढ़ा दें. फिर होलिका की 8 परिक्रमा करें. इससे प्रमोशन के योग बनते हैं.
होलिका दहन के दिन दूर करें वास्तु दोष
वास्तु दोष दूर करने के लिए होलिका दहन का दिन अति उत्तम होता है. आज के दिन अपने इष्टदेव को गुलाल अर्पित करें. अपने इष्टदेव का निवास स्थान ईशान कोण में रख कर उनका पूजन करें. यह उपाय करने से ग्रह दोष और वास्तु दोष समाप्त हो जाता है. इससे घर में शांति और सुख-सुविधा आती है.
होलिका में करें अग्नि की पूजा
होलिका दहन से पूर्व अग्निदेव की पूजा का विधान है. अग्निदेव पंचतत्वों में प्रमुख माने जाते हैं. अग्निदेव जीवात्माओं के शरीर में अग्नितत्व के रूप में विराजमान रहते हैं और जीवन भर उनकी रक्षा करते हैं.
लंबी आयु के लिए होलिका में अर्पित करें ये चीज
आप जिसकी लंबी आयु की कामना चाहते हैं उसकी लंबाई के बराबर काला धागा नाप कर दो से तीन बार लपेटकर तोड़ लें. अब इस धागे को होलिका दहन की अग्नि में अर्पित कर दें. मान्यता है कि इससे सारी विपदाएं दूर हो जाती हैं और लंबी आयु का वरदान मिलता है.
होलिका दहन के उपाय
होलिका दहन के समय अग्नि की 7 परिक्रमा करें. देवी लक्ष्मी का ध्यान करते हुए इस पान के पत्ते को होलिका को अर्पित कर दें. माना जाता है कि ऐसा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. होलिका दहन के समय गेहूं, जौ और चने की हरी बालियां पवित्र अग्नि को समर्पित करनी चाहिए. ऐसा करने से घर में धन का आगमन होता है.
होली की पौराणिक कथा
भक्त प्रह्लाद का जन्म राक्षस परिवार में हुआ था पर वे भगवान विष्णु के बड़े भक्त थे. उनके पिता हिरण्यकश्यप को उनकी ईश्वर भक्ति अच्छी नहीं लगती थी इसलिए हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को अनेकों प्रकार के कष्ट दिए. हिरण्यकश्यप ने कई बार भक्त प्रह्राल को मारने की कोशिश की लेकिन हर बार नकामी ही मिली. तब हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को भक्त प्रह्राद को मारने की जिम्मा सौपा.
होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था. उनकी बुआ होलिका जिसको ऐसा वस्त्र वरदान में मिला हुआ था जिसको पहनकर आग में बैठने से उसे आग नहीं जला सकती थी. होलिका भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए वह वस्त्र पहनकर उन्हें गोद में लेकर आग में बैठ गई. भक्त प्रह्लाद की विष्णु भक्ति के फलस्वरूप होलिका जल गई लेकिन भक्त प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ. इसके प्रथा के चलते हर वर्ष होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है.
भद्रा में नहीं होते शुभ कार्य
पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्य की पुत्री और शनि देव की बहन है. भद्रा क्रोधी स्वभाव की मानी गई हैं. मान्यता है कि भद्रा तीनों लोक में भ्रमण करती हैं, जब मृत्यु लोक में होती हैं, तो अनिष्ट करती हैं. भद्रा योग कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में चंद्रमा के विचरण पर भद्रा विष्टिकरण का योग होता है. भद्रा काल में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं.
होलिका दहन का तैयारी कई दिनों पहले से होने लगती है. होलिका दहन वाले स्थान पर लकड़ियां, उपले और अन्य जलाने वाली चीजों को एकत्रित किया जाता है. इसके बाद होलिका दहन के शुभ मुहूर्त पर विधिवत रूप से पूजन करते हुए होलिका में आग लगाई जाती है. इसके बाद होलिका की परिक्रमा करते हुए पूजा सामग्री को होलिका में डाला जाता है.
होलिका दहन की पूजा सामग्री
होलिका दहन के लिए कुछ पूजन सामग्री जरूरी मानी जाती है. इसके लिए एक लोटा जल, गोबर के उपले, रोली, अक्षत, अगरबत्ती, फल, फूल, मिठाई, कलावा, बताशा, गुलाल पाउडर, नारियल, हल्दी की गांठ, मूंग दाल, और साबुत अनाज पूजा के लिए रखें.
होलिका दहन पर बन रहे शुभ योग
होलिका दहन के दिन आज कई शुभ योग बन रहे है. आज के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07:34 बजे से अगले दिन सुबह 06:19 बजे तक है. वहीं रवि योग सुबह 06:20 बजे से सुबह 07:34 बजे तक है.