भोपाल : सोमवार, जून 17, 2024/ राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि मध्यप्रदेश कला-संस्कृति से समृद्ध प्रदेश है। भोपाल कला संस्कृति और गंगा-जमुनी तहज़ीब की नगरी है। यहाँ लोक कलाओं से लेकर शास्त्रीय कलाओं का बहुत ही समृद्ध कोष है। कलांजलि महाकला उत्सव जैसे आयोजन कला अभिव्यक्ति के साथ समाज और संस्कृति के रचनात्मक और सृजनात्मक पक्ष को प्रतिबिम्बित करने का अवसर देते है।
राज्यपाल पटेल रविन्द्र भवन में आयोजित कलांजलि महाकला उत्सव कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कार्यक्रम में भोपाल शहर के विद्वान कलाकारों को मंच से सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रख्यात भरतनाट्यम गुरू पद्मश्री मनु मास्टर और ध्रुपद गायक पद्मश्री उन्मुक्त गुन्डेचा मौजूद थे।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि कलाएं हमारे अंदर के उत्कृष्ट गुणों से हमारा साक्षात्कार कराती है। जीव-जगत-प्रकृति और मातृभूमि के प्रति प्रेम एवं कर्तव्य का भाव जगाती है। हम सभी को आत्मिक आनंद प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि भौतिकवादी और डिजिटल दुनिया में शास्त्रीय नृत्य, संगीत, चित्रकला जैसी ललित कलाएं ही मन की कोमल भावनाओं के लिए ऑक्सीजन का काम करती हैं।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि किसी भी राष्ट्र के उत्कर्ष में आर्थिक, राजनैतिक और सामरिक विकास के साथ सांस्कृतिक समृद्धि भी बहुत जरूरी होती है। कलाओं के परिचय, प्रदर्शन और महत्व के प्रचार-प्रसार से वर्तमान और भावी पीढ़ी देश की समृद्ध प्राचीन सांस्कृतिक विरासतों से परिचित होती है। उन्होंने युवा कलाकारों को शास्त्रीय कला के महत्व और मूल्य बोध से परिचित कराने के कलांजलि संस्था के उद्देश्य एवं नन्ही प्रतिभाओं को मंच उपलब्ध कराने के प्रयासों की सराहना की। पटेल ने कहा कि शास्त्रीय कलाओं और कलाकारों से सजा यह कला महासंगम भारत देश की समृद्ध कला संस्कृति के संरक्षण और संर्वधन की मिसाल बने। उन्होंने भोपालवासियों से अपील की है कि उत्सव में आए कलाकारों, कला के साधकों और कला चिन्तकों को अपनी उपस्थिति से उत्साहपूर्ण समर्थन और प्रोत्साहन दें।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन और नटराज प्रतिमा पर पुष्प अर्पण कर किया। उन्होंने संस्थान की गतिविधियों पर आधारित प्रकाशन वाङ्मय का लोकार्पण किया। पटेल का शॉल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन कलांजलि संस्था के अध्यक्ष प्रदीप कृष्णन ने दिया। पद्मश्री मनु मास्टर ने गुरू शिष्य परम्परा की महानता और महत्ता पर प्रकाश डाला। ध्रुपद गायक उन्मुक्त गुंडेचा ने संस्था के 25 वर्षों के आयोजन प्रयासों की सराहना की। आभार संस्था की महासचिव अनु जॉनसन ने व्यक्त किया।