नई दिल्ली : शनिवार, जुलाई 20, 2024/ प्रख्यात कृषिविद और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित कमला पुजारी का ओडीसा के कटक में आज सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 74 वर्ष की थीं। उन्हें वृद्धावस्था की कई तकलीफों की शिकायत के बाद कटक के एस. सी. बी. मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती किया गया था। ओडीसा के कोरापुट जिले के पत्रपुट गांव में जन्मीं कमला पुजारी को कृषि के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 में प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे जैविक कृषि में उनके योगदान और धान की स्वदेशी किस्मों के परिरक्षण के लिए विश्वभर में विख्यात हैं। धान की एक सौ से अधिक किस्मों के अलावा उन्होंने हल्दी और जीरे की कई किस्मों के परिरक्षण की दिशा में योगदान दिया। कमला पुजारी गांवों में नंगे पैर जाया करती थी और किसानों विशेषकर महिलाओं को जैविक कृषि और जैविक उर्वरकों के इस्तेमाल की जानकारी दिया करती थी।
राष्ट्रपति मुर्मु ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि प्रख्यात कृषिविद कमला पुजारी के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। उन्हें धान और अन्य फसलों के लुप्तप्राय और दुर्लभ बीजों को संरक्षित करने की उनकी प्रेरक पहल के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कई किसानों, खासकर महिला किसानों के बीच जैविक खेती को बढ़ावा दिया। जैविक खेती और पर्यावरण संरक्षण में उनके योगदान को याद किया जाएगा। उनके परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित कमला पुजारी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने कृषि क्षेत्र, विशेष रूप से जैविक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने और स्वदेशी बीजों की रक्षा करने के मामले में एक उल्लेखनीय योगदान दिया। अपने एक एक्स पोस्ट में, प्रधानमंत्री ने कहा “कमला पुजारी के निधन से दुःख हुआ। उन्होंने कृषि क्षेत्र, विशेष रूप से जैविक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने और स्वदेशी बीजों की रक्षा करने के मामले में उल्लेखनीय योगदान दिया। स्थिरता को समृद्ध करने और जैव विविधता की रक्षा करने की दिशा में किए गए उनके कार्यों को वर्षों तक याद किया जाएगा। वह जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाने के कार्य में भी एक अग्रदूत थीं। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।”