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विधायक डोडियार ने संविधान के अनुच्छेद 46 के तहत दलित आदिवासी उपयोजना बजट राशि के डाइवर्ट का मुद्दा राज्यपाल के समक्ष उठाया

सैलाना से विधायक ने राज्यपाल मंगूभाई पटेल से मुलाक़ात कर संविधान के अनुच्छेद 46 का उल्लंघन कर नीति आयोग (तत्कालीन योजना आयोग) के दिशा निर्देशों के विरुद्ध लगातार आदिवासी उप योजना बजट राशि डायवर्ट करने की शिकायत पेश की।

विधायक डोडियार ने बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 46 के तहत आदिवासियों की शिक्षा और आर्थिक हितों को बढ़ावा देने की व्यवस्था हैं, ताकि सदियों से वंचित वर्ग का गति के साथ सर्वांगीण विकास हो सके।अनुच्छेद 46 लागू करने के संबंध में सन् 1974 अर्थात् ग्याहरवीं पंचवर्षीय योजना में आदिवासी उप योजना शुरू की गई।आदिवासियों का विकास करने के साथ जनजाति एवं अन्य वर्गों के बीच की खाई पाटने के उद्देश्य के साथ उप योजना शुरू की गई।उप योजना के तहत आदिवासी विकास में मानव संसाधन विकास, जीवन स्तर में सुधार, गरीबी और बेरोजगारी में कमी, अधिकारों-अवसरों को प्राप्त करने की क्षमता में वृद्धि को शामिल किया गया था।डोडियार ने यह भी बताया कि संविधान के अनुच्छेद 46 को लागू करने के लिए भारत सरकार द्वारा 1974 में आदिवासी उप योजना शुरू करने हेतु भारतीय योजना आयोग ने उप योजना बजट राशि उपयोग के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए थे। जिसमें बहुत स्पष्ट है, कि किसी भी परिस्थिति में उप योजना राशि न तो लेप्स हो सकती है और न ही डायवर्ट की जा सकती है।

डोडियार ने शिकायत में स्पष्ट किया कि करीब चार माह पूर्व आदिवासी उप योजना की राशि 207 करोड रुपए महिला एवं बाल विकास विभाग के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए मध्यप्रदेश शासन ने डायवर्ट कर ली।इतना ही नहीं हाल ही में मध्यप्रदेश शासन ने गौशाला और मंदिर निर्माण के लिए आदिवासी उप योजना के 96 करोड रुपए डायवर्ट कर लिए हैं।अनुच्छेद 46 की मूल भावना अनुरूप आदिवासियों की शैक्षणिक एवं आर्थिक उन्नति के लिए उप योजना के उद्देश्य के विपरीत सामान्य योजना में दोनों बार कुल मिलाकर 303 करोड रुपए असंवैधानिक तरीके से आदिवासी के प्रति दुर्भावना रखते हुए डायवर्ट किए गए हैं।

डोडियार ने राज्यपाल से माँग कि की शासन स्तर के संविधान प्रावधानित उप योजना राशि को डायवर्ट करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करते हुए डायवर्ट की गई 303 करोड़ रुपए आदिवासी उप योजना में पुनः अंतरित कर आदिवासियों के शैक्षणिक एवं आर्थिक हितों को बढ़ावा देने के लिए निम्न विकास कार्यों में लगाऐं:-
1. प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य उप योजना क्षेत्र के गांव में जहां आंगनवाड़ी भवन नहीं है, वहां आंगनवाड़ी भवन तथा जर्जर भवन की जगह नए भवन बनवाऐं।
2. उप योजना क्षेत्रों के स्कूलों में लायब्रेरी, बाउंड्रीवॉल एवं खेल मैदान बनवाऐं।
3. उप योजना क्षेत्रों में 100 सीटर बालक एवं बालिकाओं के लिए प्रत्येक पंचायत वार छात्रवास स्वीकृत कर बनवाऐं।
4. प्रत्येक पंचायत वार रोजगार के लिए आईटीआई और व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र स्वीकृत कर बनवाऐं।
5. रोजगार प्रशिक्षण प्राप्त प्रत्येक व्यक्ति को व्यवसाय शुरू करने के लिए 10 लाख रुपऐ की आर्थिक सहायता प्रदान करवाऐं।
6. पश्चिमी मध्यप्रदेश के रतलाम, झाबुआ, अलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा से करीब 25 लाख आदिवासी लोग साल भर में करीब 7-8 माह प्रदेश के बाहर गुजरात, महाराष्ट, राजस्थान में पलायन कर जाते हैं जहां बेहिसाब शोषण, अत्याचार एवं अन्याय का शिकार होते हैं। मजदूरों की सहायता/सलाह के लिए एंबेसी की तर्ज पर प्रवासी मजदूर भवन बनवाऐं।
7. स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर केवल कागजों में खाना पूर्ति होती है, पश्चिम मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाज के लिए गुजरात जाते हैं। स्वास्थ्य सुविधा में सुधार के लिए झाबुआ और अलीराजपुर जिले में मेडिकल कॉलेज स्वीकृत कर बनवाऐं।
8. ब्लॉक स्तर पर पीएससी, यूपीएससी, बैंकिंग, रेलवे आदि के लिए प्रतियोगिता परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केंद्र शुरू करवाऐं।
9. उप योजना क्षेत्र के आदिवासी किसानों को सिंचाई के साधन उपलब्ध करवाऐं।
10. तेलंगाना मॉडल की तर्ज पर ब्लॉक स्तर पर पूर्णतः आवासीय महाविद्यालय स्वीकृत कर बनवाऐं।
11. जिला स्तर पर 1000 सीटर छात्र-छात्राओं के लिए पृथक-पृथक छात्रावास स्वीकृत कर बनवाएं।
संविधान के अनुच्छेद 46 की पालना में आदिवासी उप योजना के क्रियान्वयन के लिए योजना आयोग के दिशा निर्देशों का पालन करवाते हुए उप योजना बजट राशि पुनः अंतरित कर आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए शैक्षणिक एवं आर्थिक हितों को बढ़ावा देने पर खर्च करने की माँग रखी।

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