न्यायाधीश बी. आर. गवई और के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो-सी बी आई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिका की अनुमति दी। न्यायालय ने कहा कि जांच के तीव्र निपटारे की उम्मीद में सिसोदिया को और अधिक समय तक हिरासत में रखना अनुच्छेद-21 के तहत उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का गंभीर उल्लंघन होगा।
न्यायालय ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता के समाज से गहरे सरोकार थे। इसलिए सिसोदिया के भागने का खतरा नहीं था। पहले ही एकत्र किए जा चुके इस मामले से जुड़े अधिकांश साक्ष्य दस्तावेजी प्रकृति के हैं, इसलिए उसमें छेड़छाड़ होने की कोई संभावना नहीं थी। दो न्यायाधीशों की पीठ ने 6 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह पीठ ट्रायल कोर्ट और उच्च न्यायालय के निष्कर्ष से सहमत नहीं थी कि मुकदमे में देरी के लिए सिसोदिया जिम्मेदार थे।