केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कल नई दिल्ली में राजभाषा हीरक जयंती समारोह और चतुर्थ अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को संबोधित किया। गृह मंत्री ने राजभाषा हीरक जयंती के अवसर पर विशेष रूप से तैयार किए गए ‘राजभाषा भारती’ पत्रिका के हीरक जयंती विशेषांक का लोकार्पण किया। अमित शाह ने हीरक जयंती को यादगार बनाने के लिए एक स्मारक डाक टिकट और स्मारक सिक्के का लोकार्पण भी किया। गृह मंत्री ने राजभाषा गौरव तथा राजभाषा कीर्ति पुरस्कार भी प्रदान किए। इस अवसर पर गृह एवं सहकारिता मंत्री ने भारतीय भाषा अनुभाग का भी शुभारंभ किया।
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि पिछले 75 साल की यात्रा हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार कर इसके माध्यम से देश की सभी स्थानीय भाषाओं को जोड़ते हुए अपने संस्कार, संस्कृति, भाषाओं, साहित्य, कला और व्याकरण को संरक्षित और संवर्धित करने की यात्रा रही है। उन्होंने कहा कि हिंदी की 75 वर्षों की यह यात्रा अब अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के अंतिम पड़ाव पर खड़ी है और आज का दिन हिंदी को संपर्क, जन भाषा, तकनीक और अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाने का दिन है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज भारतीय भाषा अनुभाग का शुभारंभ हुआ है और हम सब जिस छोटे से बीज के बोए जाने के साक्षी बने हैं, वह आने वाले वर्षों में एक वटवृक्ष बन कर हमारी भाषाओं की सुरक्षा का केन्द्र बनेगा। भारतीय भाषा अनुभाग राजभाषा विभाग का पूरक अनुभाग बनेगा। अमित शाह ने कहा कि राजभाषा का प्रचार-प्रसार तब तक नहीं हो सकता जब तक हम अपनी सभी स्थानीय भाषाओं को मज़बूत न करें और राजभाषा का इनके साथ संवाद स्थापित न करें।
अमित शाह ने कहा कि हिंदी और स्थानीय भाषाओं के बीच कभी स्पर्धा नहीं हो सकती क्योंकि हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। उन्होंने कहा कि हिंदी और स्थानीय भाषाएं एक दूसरे की पूरक हैं और इसीलिए भारतीय भाषा अनुभाग के माध्यम से हिंदी और सभी स्थानीय भाषाओं के बीच संबंध को और मज़बूत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषा अनुभाग हिन्दी के किसी भी लेख, भाषण या पत्र भावानुवाद देश की सभी भाषाओं में करेगा। इसी प्रकार देश की सभी भाषाओं के साहित्य, लेख और भाषणों का अनुवाद हिंदी में होगा, जो समय की ज़रूरत है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जो स्वराज, स्वधर्म और स्वभाषा को समाहित नहीं करता वो अपनी आने वाली पीढ़ियों को ग़ुलामी से मुक्त नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि स्वराज की व्याख्या में ही स्वभाषा समाहित है। उन्होंने कहा कि जो देश और जनता अपनी भाषाओं की रक्षा नहीं कर सकते वो अपने इतिहास, साहित्य तथा संस्कार से कट जाते हैं और उनकी आने वाली पीढ़ियां गुलामी की मानसिकता के साथ आगे बढ़ती हैं। शाह ने कहा कि ये बहुत ज़रूरी है कि आज़ादी के 75 वर्ष के बाद भी हम आज शिवाजी महाराज के स्वराज, स्वभाषा और स्वधर्म के सिद्धांत पर बल देकर काम करें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा पर बल देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि बच्चे की अभिव्यक्ति, सोचने, समझने, तर्क, विश्लेषण और निर्णय पर पहुंचने की प्रक्रिया की सबसे सुगम भाषा उसकी मातृभाषा होती है। इसी कारण से प्रधानमंत्री मोदी ने मातृभाषा में शिक्षा पर बहुत बल दिया है। गृह मंत्री ने कहा कि आज का दिन भारत की सभी भाषाओं को मज़बूत करने और राजभाषा को देश की संपर्क भाषा बनाने का दिन है जिसके माध्यम से हम अपनी भाषाओं में अपने देश का कामकाज कर सकें।
अमित शाह ने कहा कि हमारे आज़ादी के आंदोलन में भी हिंदी का बहुत बड़ा योगदान है। 1857 की क्रांति के विफल होने के पीछे एक प्रमुख कारण किसी संपर्क भाषा का न होना था। उन्होंने कहा कि हमारा देश जियोपॉलिटिकल नहीं बल्कि भूसांस्कृतिक देश है और संस्कृति हमारे देश को जोड़ने वाली एक मज़बूत कड़ी है। शाह ने कहा कि हमारे देश की एकता संस्कृति से बनी है, हमारी संस्कृति भाषाओं से जुड़ी और बनी है।जिस दिन हम अपनी भाषाओं को गंवा देंगे उस दिन देश की एकता पर बहुत बड़ा खतरा मंडराने लगेगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि चाहे डॉ. अंबेडकर हों, राजगोपालाचारी, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, के एम मुंशी, लाला लाजपत राय, नेताजी सुभाष चंद्र बोस या फिर आचार्य कृपलानी हों, हिंदी को बढ़ावा देनेवाले हमारे नेताओं में अधिकतर गैर-हिन्दी भाषी क्षेत्रों से आते थे। इन सभी की मातृभाषा अलग थी मगर वे समझते थे कि हिंदी भाषा देश को एक करने का एक माध्यम है इसलिए उन्होंने हिंदी को राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बनाकर राजभाषा का स्वरूप दिया।
अमित शाह ने कहा कि हमारी भाषाओं को अगर कोई बचा सकता है तो वो केवल माताएं ही बचा सकती हैं। गृह मंत्री ने सभी अभिभावकों से अनुरोध किया कि वे अपने बच्चों के साथ अपनी मातृभाषा में ही बात करें। उन्होंने कहा कि अगर हम ये करते हैं तो हमारी भाषाओं को कोई समाप्त नहीं कर सकता। हमारी भाषाएं चिरकाल तक देश और दुनिया की सेवा करती रहेगीं। शाह ने कहा कि आने वाला समय भारत की भाषाओं और सभी भाषाओं का है। उन्होंने कहा कि अब इस देश को कोई भी किसी भी प्रकार की गुलामी में नहीं रख सकता और भाषा की गुलामी में तो कभी नहीं रख सकता।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि राजभाषा विभाग ने हिंदी को लचीली और स्वीकार्य बनाने की दिशा में बहुत काम किया है। उन्होंने कहा कि हिंदी कभी दूषित नहीं हो सकती क्योंकि यह गंगा की तरह है और सभी को समाहित करने के बाद भी यह पवित्र ही रहेगी। शाह ने कहा कि कई शब्द हिंदी में नहीं हैं लेकिन अन्य स्थानीय भाषाओं में हैं और हमने उन्हें स्वीकार किया है। हिंदी जब इन शब्दों को स्वीकार करती है तो हमारी स्थानीय भाषाएं भी हिन्दी के कई शब्दों को स्वीकारती हैं। गृह मंत्री ने कहा कि हमने हिन्दी शब्द सिंधु शब्दकोष में भारत की हर भाषा के शब्दों को समाहित किया है। हमें हिंदी को स्वीकार्य, लचीली और बोलचाल की भाषा बनाना चाहिए। गृह मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि अगले 5 सालों में हिन्दी शब्द सिंधु शब्दकोष विश्व का सबसे बड़ा शब्दकोष बनेगा।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, और न्यायपालिका में हिंदी के प्रयोग की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि हिंदी को संघर्ष के साथ नहीं बल्कि साहसिक स्वीकार्यता के साथ आगे बढ़ाना चाहिए। शाह ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के कई निर्णयों का भी कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड ने आज मेडिकल शिक्षा को संपूर्ण पाठ्यक्रम हिंदी में तैयार कर लिया है। भारत की लगभग 13 भाषाओं में इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम तैयार होने का काम जारी है और आने वाले दिनों में हिन्दी ही निश्चित रूप से अनुसंधान की भाषा भी बनेगी।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हिंदी की स्वीकार्यता बढ़ाने का हमारा रोडमैप आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने दुनिया के बड़े से बड़े मंच पर विश्वास और गौरव के साथ हिंदी में अपना संबोधन देकर हिंदी की स्वीकृति को बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया था तब पूरी दुनिया अचंभित रह गई थी। शाह ने कहा कि आज हिंदी संयुक्त राष्ट्र की भाषा बन चुकी है और 10 से अधिक देशों की द्वितीय भाषा भी बन चुकी है। हिंदी अब अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
अमित शाह ने कहा कि भारत की भाषाएं हिंदी से ही मजबूत हो सकती है और हिंदी भी भारतीय भाषाओं से ही मजबूत हो सकती है। उन्होंने कहा कि आज गृह मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय में एक भी फाइल और पत्र व्यवहार हिंदी में होता है। गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भाषा अभिव्यक्ति है और जब अपनी भाषा मे अभिव्यक्ति तभी वह मुखर होती है।