राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज सियाचिन बेस कैंप का दौरा किया और सियाचिन युद्ध स्मारक पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। यह युद्ध स्मारक 13 अप्रैल, 1984 को सियाचिन ग्लेशियर पर भारतीय सेना के ऑपरेशन मेघदूत शुरू करने के बाद से शहीद हुए सैनिकों और अधिकारियों के बलिदान का प्रतीक है। राष्ट्रपति ने वहां तैनात सैनिकों को भी संबोधित किया।
राष्ट्रपति ने सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा कि सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर के रूप में उन्हें उन पर बहुत गर्व है और देश के सभी नागरिक उनकी बहादुरी और जज्बे को सलाम करते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि अप्रैल 1984 में शुरू किए गए ऑपरेशन मेघदूत के बाद से भारतीय सशस्त्र बलों के बहादुर सैनिकों और अधिकारियों ने इस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की है। यहां तैनात अधिकारी और जवान प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों का सामना करते हैं। जबरदस्त बर्फबारी और शून्य से 50 डिग्री नीचे तापमान जैसी कठिन परिस्थितियों में भी वे पूरी निष्ठा और सतर्कता के साथ अपने मोर्चे पर डटे रहते हैं। यहां तैनात जवान और अधिकारी मातृभूमि की रक्षा के लिए त्याग एवं सहनशीलता का असाधारण उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने सैनिकों से कहा कि सभी देशवासी उनके बलिदान और बहादुरी से अवगत हैं और उनका सम्मान करते हैं।