हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु को समर्पित इस माह में स्नान और दान करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार, यह समय तपस्या करने के लिए सबसे अच्छा बताया गया है। इस वर्ष कार्तिक मास 10 अक्टूबर से आरंभ होकर 8 नवंबर तक चलेगा। नियमों के अनुसार, इस दौरान सूर्योदय से पूर्व उठना और स्नान करना अनिवार्य है।
स्कंद पुराण में लिखा है, ‘जैसे सतयुग के समान कोई युग नहीं है, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं है, और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है, वैसे ही कार्तिक जैसा कोई महीना नहीं है। जो भक्त कार्तिक माह में भक्ति सेवा करते हैं, उन्हें भगवान कृष्ण की कृपा बहुत आसानी से मिल जाती है। कार्तिक मास में भक्त उपवास रखते हैं, भगवान कृष्ण को दामोदर के रूप में घी के दीपक से पूजा करते हैं, भजनों का जाप करते हैं, दामोदर लीला की महिमा करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, उनके समस्त पापों का अंत होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कार्तिक मास में दीप दान का महत्व
भविष्य पुराण के अनुसार, जो भक्त कार्तिक मास में भगवान श्री कृष्ण के मंदिर के अंदर और बाहर दीपमालाओं प्रज्वलित करते हैं, वे उन्हीं द्वीपों से प्रकाशित मार्ग पर परमधाम की ओर प्रस्थान करते हैं। कार्तिक मास में दीप जलाना भगवान कृष्ण की सेवा है। ऐसा करने से करोड़ों पाप पलक झपकते ही नष्ट हो जाते हैं। इसी तरह दीपदान का महत्व है। आटे के दीप बनाकर जलाएं और नदी या तालाब में छोड़ें। जो व्यक्ति पूरे कार्तिक मास में दिन में केवल एक बार भोजन करता है, मान्यता है कि वह बहुत प्रसिद्ध, शक्तिशाली और वीर बन जाता है। जो कार्तिक के महीने में भगवत गीता का पाठ करता है, वह जन्म और मृत्यु की दुनिया में नहीं लौटता है।