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बुधनी के भाजपा के असली चेहरे तो शिवराज ही हैं, भार्गव तो सिर्फ मोहरा : के.के. मिश्रा

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष के मीडिया सलाहकार एवं बुधनी विधानसभा उपचुनाव के मीडिया प्रभारी के.के. मिश्रा ने बुदनी उप चुनाव को लेकर कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल के नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर कांग्रेस का पहला वार करते हुये कहा कि कांग्रेस का मानना है कि भाजपा प्रत्याशी रमाकान्त भार्गव तो सिर्फ़ शिवराजसिंह के मोहरे हैं। स्वाभाविक प्रत्याशी के रूप में उनके लिए अपनी सीट से इस्तीफ़ा देकर अपना राजनैतिक बलिदान देने वाले राजेन्द्रसिंह राजपूत भाजपा प्रत्याशी होना थे, जो नहीं हो सके,वे ठगी के शिकार हुए ! लिहाज़ा,हमारे निशाने पर मोहरा नहीं, असली चेहरे के रूप में शिवराज ही होंगे।

मिश्रा ने कांग्रेस पार्टी की ओर से शिवराजसिंह चौहान से पूछे 5 सवाल: –

1.आप 16 सालों तक प्रदेश के मुखिया रहे,अब केंद्रीय कृषि मंत्री हैं इसके बावजूद भी आपके गृह क्षेत्र बुदनी सहित समूचे प्रदेश में किसानों में खाद की हाहाकर क्यों मची हुई है?

2.आपके मुख्यमंत्रित्व काल में कर्ज़,अतिवृष्टि-अल्पवृष्टि व अन्यान्य कारणों से कितने किसानों ने आत्महत्यायें की?

3.आपके शासनकाल में केबिनेट के पारित प्रस्ताव में मां नर्मदा को “जीवित नदी” दर्जा दिया जाकर रेत के अवैध उत्खननकर्ताओं के ख़िलाफ़ कठोरता से दंडात्मक कार्यवाही करने का संकल्प लिया गया था,पूरे 16 सालों तक मां नर्मदा के सीने को रेत माफियाओं ने छलनी कर डाला, इस अवैध खनन और परिवहन में कितने माफियाओं के ख़िलाफ़ आपने सख़्त और दिखाई देने वाली कार्यवाही की,वे माफिया कौन थे,क्या उन्हें आपका संरक्षण नहीं था?

4.पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार के दौरान प्रदेश के 26.9 लाख किसानों की पहली किस्त के रूप में 11 हज़ार 768 करोड़ रुपयों की कर्जमुक्ति हुई थी,जिसे विधानसभा में एक ख़रीदी हुई सरकार के मुखिया के रूप में आपने भी सदन में स्वीकार किया था,हालांकि आप बाद में राजनैतिक कारणों से उसे अस्वीकार भी करते रहे, किंतु इस कर्ज़ मुक्ति का आपके किन-किन परिजनों लाभ मिला?

5. आपके सुयोग्य पुत्र व हमारे प्रिय भतीजे कार्तिकेय ने गुरुवार को बुदनी की जागरूक जनता के बीच कहा कि आपने शिवराज को बहुत प्यार दिया, जिसके कारण वे 16 सालों तक प्रदेश के मुखिया रहे, अब वे केंद्र में कृषि मंत्री हैं, यदि यहाँ से कांग्रेस विजयी होती है तो आप उनसे एक ईंट भी नहीं लगवा पायेंगे ! क्या आप इस राजनीतिक धौंस से सहमत हैं, क्या भारतीय लोकतंत्र में यह आचरण जायज़ है?

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