वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश सक्सेना की कलम से
आज कोलार क्षेत्र में युवा पत्रकार रोशन नेमा के साथ कोलार मेन रोड पर बने पुल के बगल में बनने वाले पुल को देखने गया। नीचे पहुंचे ही थे तभी कलियासोत का गेट खुलने से अचानक पानी बहने लगा। तभी अचानक मेरी नज़र नदी किनारे बनी एक पुरानी इमारत पर पड़ी। उसका एक कॉलम जमीन छोड़ चुका है और कभी भी उस इमारत के ढहने का कारण बन सकता है। हमने आसपास के ही एक श्रमिक से पूछा कि यह कॉलम ऐसा कब हुआ? उसने बताया कि अभी पिछली बारिश के दौरान ही गेट खुलने और फिर बन्द होने के बाद यह ऐसा हुआ है।
फोटो और वीडियो देखकर ही कहा जा सकता है कि इस नदी के किनारे कितने ही हो सकने वाले हादसे भविष्य के गर्त में छिपे हुए हैं? एन.जी.टी. को सत्ता और प्रशासन अब तक अपना चश्मा पहनाये रखने में सफल रहा है? कानून की किताबों में नियम अब भी वही हैं और उन नियमों में जनता की चिन्ता भी दिखाई देती है लेकिन उनकी व्याख्या सत्ता के इशारे पर प्रशासन अपने मनमाने हिसाब से करवाने में सफल रहा है। शिवराज सरकार को इन हादसों से शायद कोई फर्क नहीं पड़ता। एक ऐसा भ्रष्ट तंत्र विकसित हो चुका है जो हादसों के दोषियों को निर्दोष साबित करने में पारंगत है। और ये हादसे गैर इरादन तो नहीं कहे जा सकते? बस अब ईश्वर पर यकीन करने के अलावा कोई चारा भी तो नहीं बचा?