मंत्रियों की कमेटी तय करेगी नई आबकारी नीति -देवड़ा, मंत्री उदय प्रताप, निर्मला भूरिया, राजपूत समिति में शामिल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। इसमें कैबिनेट ने वर्ष 2025-26 के लिए आबकारी नीति के निर्धारण और आवश्यक नीतिगत निर्णयों के लिए एक मंत्रि-परिषद समिति का गठन किया। इस समिति में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, मंत्री उदय प्रताप सिंह, निर्मला भूरिया के साथ ही इस बार मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को भी शामिल किया गया। यह समिति आबकारी नीति को फाइनल करेगी
गौरतलब है कि मप्र में आबकारी विभाग के अधिकारी नहीं आबकारी नीति का खाका तैयार कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में एक बार फिर शराब दुकानों के बंद अहाते चालू करने की तैयारी की जा रही है। नई शराब नीति को लेकर जो प्रस्ताव तैयार किया है उसे कैबिनेट में रखने के बाद हरी झंडी मिली तो 2025-26 में शराब की दुकानें 10 फीसदी ज्यादा में नीलाम होंगी। प्रदेशभर में शराब दुकान के अहाते बंद होने से राजस्व का भारी नुकसान सरकार को हो रहा है।
10 फीसदी ज्यादा बढ़ेगी दर
नई शराब नीति को लेकर अफसरों ने आय बढ़ाने के जो सुझाव दिए हैं उसमें बताया गया है कि अगले साल शराब दुकानों की नीलामी 10 फीसदी ज्यादा में की जाए। इसके लिए उत्तर प्रदेश समेत तीन राज्यों की शराब नीति का अध्ययन मप्र शासन के आबकारी विभाग ने कर मसौदा तैयार किया है। दिसंबर में होने वाली बैठक में शराब नीति का प्रस्ताव रखा जाएगा, हरी झंडी मिलने के बाद नई शराब नीति 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। आबकारी अधिकारियों का कहना है कि यदि अहाते चालू होंगे तो शराब दुकान के सामने सडक़ पर लगने वाली भीड़ कम होगी जिससे आने जाने वाले को परेशान नहीं होना पड़ेगा पिछली सरकार ने अहाते बंद करा दिए थे।

यूपी मॉडल पर आधारित नई शराब नीति
मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशानुसार शराब नीति का प्रस्ताव तैयार करने से पूर्व आबकारी विभाग के अधिकारियों की टीम ने यूपी के शराब मॉडल का अध्ययन किया। इसमें सामने आया कि यूपी में लॉटरी सिस्टम से शराब दुकानों का आवंटन न होता है। वहां शराब दुकानों की संख्या करीब 30,0177 है, जो मप्र के मुकाबले नौ गुना ज्यादा है। नई शराब नीति में उप्र की शराब नीति के महत्वपूर्ण बिंदुओं को भी शामिल किया गया है। मप्र में शराब दुकानों की कुल संख्या 3605 है। मप्र में ई-टेंडर के जरिए शराब दुकाने नीलाम होती है। देश में कर्नाटक के बाद मप्र में शराब की कीमत सबसे ज्यादा है। अधिकारियों का कहना है कि यदि राज्य सरकार शराब के यूपी के शराब नीति के मॉडल को अपनाती है, तो मप्र में शराब दुकानों की संख्या बेतहाशा बढ़ जाएगी। जबकि मप्र सरकार की नीति शराब दुकानों की संख्या में वृद्धि नहीं करने की रही है। प्रस्ताव में महाराष्ट्र और तमिलनाडु की शराब नीति के चुनिदा बिंदुओं को भी शामिल किया गया है। महाराष्ट्र में शराब के विक्रेता स्थाई है। वहां हर साल शराब दुकानों की बिक्री की एक निश्चित राशि बढ़ा दी जाती है। तमिलनाडु में शराब दुकानों का संचालन सरकार स्वयं करती है।

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