अब शहर सरकार का हिस्सा होंगे जेल के बंदी,, दस बंदियों को नौकरी देने के लिए सूची तैयार

कैदियों के लिए जेल और नगर निगम प्रशासन मिलकर एक बड़ा नवाचार करने जा रहे हैं। इसके तहत उन कैदियों के लिए स्थाई आय का जरिया दिया जा रहा है, जो जेल में रहते जुर्म की दुनिया से तौबा करने के बाद अब पूरी तरह से सुधरने के प्रयासों में लगे हैं। वे अब समाज की मुख्यधारा में लौटने के प्रयासों में हैं। ऐसे बंदियों को अब नगर निगम में नौकरी मिलेगी और वह शहर सरकार के काम में हाथ बटांएगें। इसको लेकर जेल अधिकारियों ने 10 बंदियों की सूची तैयार की है, जिन्हें निगम प्रशासन पूरी जांच पड़ताल करने के बाद अपने यहां आउटसोर्स एजेंसी के जरिए अपने यहां भर्ती करेगा और उनसे काम लेगा। यह निर्णय किसी एक अधिकारी का नहीं बल्कि दोनो ही विभागों के आपसी सामंजस्य के बाद लिया गया है। असल में यह एक बड़ा कारगार कदम माना जा रहा है, यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो बंदी निगम का सहयोग करते दिखाई देंगे।
इन बंदियों को मिलेगी जगह
सेंट्रल जेल में लगभग 6 वर्ष पहले ओपन जेल की शुरूआत हुई थी, उद्घाटन कार्यक्रम में सर्वप्रथम 11 बंदियों और उनके परिवारजनों को बुला कर ओपन जेल में शिफ्ट किया गया था। असल में उन बंदियों को ही ओपन जेल में रखा गया था, जिनका जेल के अंदर आचरण अच्छा था। अब यह बंदी सुबह 9 बजे रोजी रोटी के लिए और अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए जेल से निकल जाते हैं। इन दिनों 22 बंदी ओपन जेल में है, इन्ही में से 10 बंदियों की सूची बनाकर जेल प्रशासन ने तैयार की है, जिसे अब निगम प्रशासन के पास भेजा जाएगा। ओपन जेल में रहने के लिए जिन बंदियों का चयन होता है, उनका भरण पोषण जेल प्रशासन द्वारा नहीं किया जाता। बल्कि बंदी स्वयं से कमाई कर अपने परिवार का पेट पालते हैं। लिहाजा यदि नगर निगम में बंदी नौकरी के लिए जाते हैं तो उन्हे शाम 6 बजे तक वापस आना होगा। अब उन बंदियों को किस विभाग में पदस्थ किया जाएगा यह निर्णय निगम प्रशासन तय करेगा।
पहले बंदी थे चार्ली राजा
जेल जानकारों की माने तो सागर जेल में 302 के जुर्म में चार्ली राजा बुंदेला को 14 वर्ष की सजा हुई थी, उनके अच्छे आचरण के चलते उनको सतना ओपन जेल में शिफ्ट किया गया था। जिसमें वे पूरी सजा काट कर वर्ष 2020 में रिहा हो चुके हैं। राजा बुंदेला के साथ उनके पुत्र और पत्नी भी थी। इनके भरण पोषण के लिये रोजगार की व्यवस्था भी जेल प्रबंधन ने करवा दी थी।
ये सुविधा मुफ्त
ओपन जेल में बंदी व उनके परिवारों को मकान, बिजली, पानी मुफ्त मिलता है। बाकी भोजन से लेकर बच्चों की पढ़ाई का खर्च खुद वहन करना होता है। कलेक्टर दर से इन्हें प्रतिदिन मानदेय नौकरी करने के दौरान दिलवाया जाएगा। साथ ही जिसे स्वयं का रोजगार करना हो वह भी कर सकता है।
घर जैसे महौल में भी रहने की सुविधा
नाम ओपन जेल
परिसर- 3 एकड़
मकान- 25, दो कमरे, लैट-बाथ, किचन
सुविधा- मकान, पानी, बिजली, रोजगार
प्रोजेक्ट लागत- 4.25 करोड़
बंदी-22
क्षमता- 25 बंदी व परिवारजनों की
शुभारंभ- 31 मई 2018
परिवार सहित 25 बंदी की क्षमता
4.25 करोड़ की लागत से बनी ओपन जेल में प्रदेश के 25 बंदी खुली हवा में परिजनों के साथ रह सकते हैं। सालों की सजा काटने वाले बंदी जब ओपन जेल में जाते हैं तो बेहद ही राहत महसूस करते हैं। मनपंसद का खाना और सुबह नौकरी, व्यापार में जाना अब इनका रूटीन बन जाता है। सुबह से शाम 6 बजे तक ये शहर में रहते हैं। फिर वापस इनको ओपन जेल जाना होता है।
ये काम करते हैं बंदी
ओपन जेल के कई बंदी हाथ ठेला लगाकर सब्जी विक्रय का कार्य करते हैं। इसके अलावा अन्य बंदी सिक्योरटी कंपनी में नौकरी कर रहे हैं। दिन भर कमाई करने के बाद इन बंदियों को प्रत्येक दिन शाम 6 बजे यानी सूर्य ढलते ही जेल वापस पहुंचना होता है। जेल में इनकी हाजरी होती है। ये सभी 22 बंदी अपने पत्नी व बच्चों के साथ रहते हैं और उनका खर्चा उठाते हैं।

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