नवीनतम बहुउद्देश्यीय भूमिका वाले रडार से बच निकलने में सक्षम गाइडेड मिसाइल की युद्ध प्रणाली से लैस आईएनएस तुशिल (एफ 70) को कल रूस में कलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में आईएनएस तुशिल की तैनाती को भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति का गौरवपूर्ण प्रमाण व भारत और रूस के बीच दीर्घकालिक मैत्री में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया, जो साझा मूल्यों, आपसी विश्वास तथा विशेष एवं रणनीतिक विशेषाधिकार प्राप्त साझेदारी से एक साथ बंधे हैं।
राजनाथ सिंह ने भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के प्रति रूस के सहयोग को भारत व रूस के बीच गहरी मित्रता का एक और महत्वपूर्ण उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि आईएनएस तुशिल सहित कई अन्य जहाजों में भारत में निर्मित सामग्री लगातार बढ़ रही है। यह पोत रूसी और भारतीय रक्षा उद्योगों की सहयोगात्मक क्षमता का एक बड़ा प्रमाण है। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह संयुक्त कौशल के माध्यम से तकनीकी उत्कृष्टता की ओर भारत की यात्रा का शानदार उदाहरण है।
रक्षा मंत्री ने भारत और रूस की नौसेनाओं के बीच गहरे संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व में दोनों देशों के बीच समग्र रूप से बढ़ते संबंधों के तहत तकनीकी एवं परिचालन सहयोग लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में शांति व सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता दोहराई। श्री सिंह ने कहा कि हमारी नौसेना ने विभिन्न चिंताजनक इलाकों में समुद्री डकैती, हथियार और नशीले पदार्थों के तस्करों तथा गैर-सरकारी तत्वों की साजिशों को नाकाम कर दिया है। उन्होंने बताया कि ओमान की खाड़ी से लेकर अदन की खाड़ी तक, स्वेज से लेकर मलक्का तक और ऑस्ट्रेलिया से लेकर मेडागास्कर तक भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में एक सुरक्षा प्रदाता की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत अपने मित्र देशों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने में विश्वास रखता है कि क्षेत्र में समुद्री व्यापार सुरक्षित और संरक्षित बना रहे, जिससे समुद्र के पार निर्बाध व्यापार को बढ़ावा मिले।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय नौसेना प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में समुद्र में अपने मित्रों को त्वरित व समय पर मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रदान करने के लिए हमेशा तैयार रहती है।
रक्षा मंत्री ने भारतीय समुद्री क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास (सागर) के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार करने के उद्देश्य से भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता को दोहराया और इस दृष्टिकोण को भारत की समुद्री नीति की मेरुदंड बताया, जिसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता व आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि सागर सामूहिक सुरक्षा, समुद्री सहयोग तथा सतत विकास के प्रति भारत की वचनबद्धता का प्रतीक है और इस प्रतिबद्धता में हमें हमेशा रूस का सहयोग मिला है।
राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि नई ऊर्जा एवं उत्साह के साथ भारत और रूस आने वाले समय में अपने सहयोग की पूरी क्षमता का उपयोग करेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देश न केवल सहयोग के मौजूदा क्षेत्रों को बढ़ावा देंगे, बल्कि नए और अनछुए क्षेत्रों में काम करने को भी प्राथमिकता देंगे। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत और रूस कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष अन्वेषण तथा आतंकवाद-को समाप्त करने जैसे क्षेत्रों में एक-दूसरे की विशेषज्ञता का लाभ उठाकर सहयोग के एक नए युग में प्रवेश करेंगे।
इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने परियोजना में शामिल सभी लोगों, विशेष रूप से शिपयार्ड श्रमिकों और सभी रूसी एवं भारतीय मूल के उपकरण निर्माताओं को उनके असाधारण कार्य, रूसी प्रणालियों के साथ भारतीय प्रणालियों के दोषरहित एकीकरण तथा इस परियोजना में प्राप्त गुणवत्ता क्षमता उन्नयन में योगदान के लिए बधाई दी।
इस कार्यक्रम में रूस के रक्षा उप मंत्री अलेक्जेंडर वासिलीविच फोमिन, कैलिनिनग्राद के गवर्नर एलेक्सी सर्गेयेविच बेसप्रोज्वानिख, रूसी नौसेना के कमांडर-इन-चीफ एडमिरल अलेक्जेंडर एलेक्सेयेविच मोइसेयेव, रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार और भारतीय एवं रूसी सरकारों व नौसेनाओं तथा रक्षा उद्योगों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
इस अवसर पर रूस के रक्षा उप मंत्री अलेक्जेंडर वासिलीविच फोमिन, कैलिनिनग्राद के गवर्नर एलेक्सी सर्गेयेविच बेसप्रोज्वानिख, रूसी नौसेना के कमांडर-इन-चीफ एडमिरल अलेक्जेंडर एलेक्सेयेविच मोइसेयेव, रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार, रूसी नौसेना के बाल्टिक फ्लीट के कमांडर वाइस एडमिरल व्लादिमीर वोरोब्योव, भारतीय एवं रूसी सरकारों, नौसेनाओं तथा रक्षा उद्योगों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
आईएनएस तुशिल परियोजना 1135.6 के अंतर्गत उन्नत क्रिवाक III श्रेणी का युद्धपोत है, जिसमें से छह पहले से ही सेवा में हैं – तीन तलवार श्रेणी के जहाज हैं, जो सेंट पीटर्सबर्ग के बाल्टिस्की शिपयार्ड में निर्मित हैं और तीन अनुवर्ती टेग श्रेणी के जहाज हैं, जो कलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में बने हुए हैं। आईएनएस तुशिल इस श्रृंखला का सातवां पोत है, जो दो उन्नत अतिरिक्त अनुवर्ती पोतों में से पहला है, जिसके लिए अनुबंध पर अक्टूबर, 2016 में जेएससी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, भारतीय नौसेना तथा भारत सरकार के बीच हस्ताक्षर किए गए थे।
आईएनएस तुशिल को चारों आयामों – वायु, सतह, पानी के भीतर और विद्युतचुंबकीय क्षेत्र में नौसैन्य युद्ध के पूरे स्पेक्ट्रम में समुद्री गतिविधियों के लिए डिजाइन किया गया है। यह कई प्रकार के उन्नत हथियारों से सुसज्जित है, जिनमें संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, उन्नत रेंज वाली लंबवत प्रक्षेपित श्टिल सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, उन्नत स्टेल्थ विशेषताओं वाली उन्नत मध्यम दूरी की वायुरोधी और सतही तोप, ऑप्टिकली नियंत्रित निकट दूरी की तीव्र फायर गन प्रणाली, पनडुब्बी रोधी टारपीडो व रॉकेट तथा उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और संचार प्रणाली शामिल हैं।
यह युद्धपोत उन्नत पनडुब्बी रोधी और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर, कामोव 28 और कामोव 31 को भी ले जाने में सक्षम है, जो अपने आप में जबरदस्त शक्तिवर्धक हैं। यह जहाज अत्याधुनिक नियंत्रण प्रणालियों के साथ उन्नत गैस टरबाइन प्रॉपल्सन संयंत्र द्वारा संचालित है और 30 नॉट से अधिक गति प्राप्त करने में सक्षम है। उच्च स्तर की ऑटोमेशन एवं स्टेल्थ विशेषताएं इसकी युद्धक क्षमता व उत्तरजीविता को और बढ़ाती हैं। इस जहाज की कमान कैप्टन पीटर वर्गीस के हाथों में है, जो एक तोपखाना और मिसाइल विशेषज्ञ हैं।
आईएनएस तुशिल के निर्माण कार्यक्रम की आधारशिला 12 जुलाई, 2013 को रखी गई थी और अक्टूबर 2021 में इसका जलावतरण किया गया। जहाज 25 जनवरी, 2024 को अपने पहले समुद्री परीक्षण के लिए रवाना हुआ और अन्य परीक्षणों के साथ-साथ स्टेट कमेटी ट्रायल्स तथा अंत में बंदरगाह एवं समुद्र दोनों हिस्सों में वितरण स्वीकृति परीक्षणों का एक विस्तृत कार्यक्रम 24 सितंबर, 2024 तक पूरा कर लिया गया था। इस युद्धपोत ने अपने सभी रूसी हथियार प्रणालियों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है और यह युद्ध के लिए लगभग तैयार स्थिति में ही भारत पहुंचेगा।